डॉक्टर उठावन सिंह ने जियावन की पूरी जांच पड़ताल करने के बाद दवा की एक शीशी दी और कहा, “इस दवा को हफ़्ते में पूरा करो और उसके बाद आकर मिलो।”
जियावन ने हामी भरी, “ठीक है डॉक्टर।”
एक हफ़्ते के बाद जियावन पुनः डॉक्टर से मिला।
जांच करने के बाद डॉक्टर के चेहरे पर चिन्ता की लकीरें खिंच आई। उसने दबे स्वर में पूछा, “दवा ख़त्म हुई क्या?”
जियावन ने जवाब दिया, “नहीं डॉक्टर साहब! उसकी शीशी पर तो लिखा था, बोतल को हमेशा बंद रखें। सो …… मैने …… उसे ……!!”
bechara koi usaki bat thik se samjhata hi nahi
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