भगावन को बढती उम्र के साथ एक बुरी आदत ने जकड़ रखा था।
बहुत से बच्चों में यह आदत पाई जाती है।
वह अपने हाथों के नाखून चबाने लगा है।
दिन भर उसे कुटुर-कुटुर नाखून चबाते देख खदेरन और फुलमतिया जी चिन्ता में पड़ गए। बहुत प्रयास किया पर उसकी ये आदत छूटती ही नहीं थी।
फाटक बाबू से अपनी समस्या सुनाई। फाटक बाबू ने कहा, “नो प्रोबलम खदेरन! आज आजकल बाबा रामदेव का शिविर लगा हुआ है शहर में। फुलमतिया जी! उसे उसमें भेज दीजिए। उसकी यह बुरी आदत छूट जाएगी।”
दोनों खुश। भगावन को अगले दिन से ही बाबा रामदेव के शिविर में भेज दिया गया।
एक सप्ताह बाद भगावन लौटा। प्रशिक्षित हो कर।
अब वह पैर के भी नाखून चबाने लगा था!!!
वह आज कल तो हंसी की फुहार और जोरदार होती जा रही है अब हंसी नहीं आती ठहाके लगते है |
जवाब देंहटाएंab kisi aur ke ashram me bhejiye...baal bhi khane lagega..:D
जवाब देंहटाएंयोग से पैर तक भी पहुँच गया।
जवाब देंहटाएंअच्छा ऐसा भी होने लगा ....बाबा का असर .....
जवाब देंहटाएंयोग के चमत्कार भी सीख लिये भगावन ने.
जवाब देंहटाएंअद्भुत असर!!
जवाब देंहटाएंहा हा
जवाब देंहटाएंजय बाबा की