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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

नाखून चबाना

भगावन को बढती उम्र के साथ एक बुरी आदत ने जकड़ रखा था।

बहुत से बच्चों में यह आदत पाई जाती है।

वह अपने हाथों के नाखून चबाने लगा है।

दिन भर उसे कुटुर-कुटुर नाखून चबाते देख खदेरन और फुलमतिया जी चिन्ता में पड़ गए। बहुत प्रयास किया पर उसकी ये आदत छूटती ही नहीं थी।

फाटक बाबू से अपनी समस्या सुनाई। फाटक बाबू ने कहा, “नो प्रोबलम खदेरन! आज आजकल बाबा रामदेव का शिविर लगा हुआ है शहर में। फुलमतिया जी! उसे उसमें भेज दीजिए। उसकी यह बुरी आदत छूट जाएगी।”

दोनों खुश। भगावन को अगले दिन से ही बाबा रामदेव के शिविर में भेज दिया गया।

एक सप्ताह बाद भगावन लौटा। प्रशिक्षित हो कर।

अब वह पैर के भी नाखून चबाने लगा था!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. वह आज कल तो हंसी की फुहार और जोरदार होती जा रही है अब हंसी नहीं आती ठहाके लगते है |

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  2. अच्छा ऐसा भी होने लगा ....बाबा का असर .....

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  3. योग के चमत्कार भी सीख लिये भगावन ने.

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