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सोमवार, 10 मई 2010

नोंक-झोंक

 

दफ्तर से घर पहुँचकर श्रीमान जी ने श्रीमती जी को आवाज़ लगाते हुए कहा, “दिन भार फइलों में सर खपाते-खपाते मैं तो आधा पागल हो गया हँ।”

श्रीमतीजी जो रसोई में काम कर रही थीं वहीं से बोलीं, “कोई भी काम तो पूरा कर लिया करो।”

9 टिप्‍पणियां:

  1. हीहीहीहीहीहीही ऐसी जोड़ी रहे तो तलाक काहे को हो देश में

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  2. यही तो ..ये लोग कोई भी काम पूरा नहीं करते ...हाँ नहीं तो...
    हा हा हा हा हा

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