परिणाम |
खदेरन का बेटा भगावन पथ से भूला था, भटका था पिछले दो साल से परीक्षा पास नहीं की थी एक ही क्लास में अटका था। आज इस बार की परीक्षा के परिणाम आने वाले थे। उसकी मुक़द्दर की नैया में न जाने क्या समाने वाले थे? भगावन पहुंचा दरबार में भगवान के मिलेगा वर जो भी चाहेगा यह जान के करने लगा प्रार्थना – “वर दे! सरस्वती मैया वर दे!! मेरी सारी कॉपी पर ज़ीरो नम्बर धर दे! मुझे फेल कर दे ! सरस्वती मैया वर दे!!” भगावन ने कर ली अपनी प्रर्थना सारी थी अब पुजारी के चौंकने की बारी, बोला पुजारी- “जीवन को किस तरजु पर तोल रहे हो बेटा यह क्या बोल रहे हो?” भगावन पहले मुस्कुराया मंद-मंद फिर बोला “अगर ईश्वर मेरी सुन लेते हैं तो हो जाऊँगा मैं स्वछंद पापा कल कह रहे थे इस बार हुए अगर फेल तुम्हारा स्कूल जाना बंद!!!” |
यह भी खूब रही ... सही है
जवाब देंहटाएंwah wah..
जवाब देंहटाएंnice.
मजेदार!
जवाब देंहटाएंअहा! हा-हा-हा-हा...
जवाब देंहटाएंऐसी आज़ादी और कहां!!!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंha...ha....ha..... !!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है भाई ......
जवाब देंहटाएंलेकिन आप बहुत दिनों से नजर नहीं आयी
कहाँ जा के गरमी की छुट्टियां बितायीं
नाम बहुत पसन्द आए - खदेरन और भगावन! वाह…
जवाब देंहटाएंखूब, मज़ेदार, बहुत पसन्द, ha...ha....ha, क्या बात है, अहा!, wah wah..
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