मास्टर जी : चौपट ! आज फिर तुम होमवर्क करके नहीं आये हो ?
चौपटनाथ : सॉरी ! मास्टर जी ! होम में इतना वर्क बढ़ गया है कि होमवर्क करने का टाइम ही नहीं मिला।
मास्टर जी : मतलब... ?
चौपटनाथ : वो क्या है मास्टर जी कि मेरे घर कुछ 'जतिथि' आये हुए हैं ?
मास्टर जी : जतिथि नहीं बेटे, अतिथि... ! अतिथि देवो भवः... !
चौपटनाथ : वो तो मालुम है मास्टर जी ! पर मेरे घर अतिथि नहीं 'जतिथि' आये हुए हैं।
मास्टर जी : जतिथि क्या होता है ?
चौपटनाथ : अतिथि क्या होता है ?
मास्टर जी : अतिथि उन्हें कहते हैं, जिनके आने की तिथि नहीं मालुम हो।
चौपटनाथ : और 'जतिथि' उन्हें कहते हैं, जिनके जाने की तिथि नहीं मालुम हो। अब देखिये न... मेरे घर जो आये हैं उनके आने की तिथि तो हमें दो महीने पहले से मालुम थी। तो फिर वे अतिथि कैसे हुए ? पर जायेंगे कब ये किसी को पता नहीं !
हा...हा...हा...हा..... !!!
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अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
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हा हा हा!! बहुत सही...चौपटनाथ!
जवाब देंहटाएंसुन्दर परिभाषा, गलत क्या कहा
जवाब देंहटाएंबहुत ही तार्किक लतीफा!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ha ha ha
जवाब देंहटाएंजतिथि तुम कब जाओगे... हा....हा...हा.... !
जवाब देंहटाएंHA HA HAHA..........
जवाब देंहटाएंहा,,,हा,,हा,,हा
जवाब देंहटाएंबढ़िया ....सही बात है
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आप लोगों से निवेदन है कि
कहीं किसी के यहाँ जाएँ तो सतिथि बनकर ही जाएँ :)
अत्यन्त सार्थ लतीफ़ा, पसन्द आया!
जवाब देंहटाएंsmart answer...
जवाब देंहटाएंha ha ha
सतिथि बनकर ही जाएँ :
जवाब देंहटाएंहा...हा....
जवाब देंहटाएंहा हा हा!! बहुत सही...
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