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सोमवार, 17 मई 2010

जतिथि तुम कब जाओगे ?

मास्टर जी : चौपट ! आज फिर तुम होमवर्क करके नहीं आये हो ?
चौपटनाथ : सॉरी ! मास्टर जी ! होम में इतना वर्क बढ़ गया है कि होमवर्क करने का टाइम ही नहीं मिला।
मास्टर जी : मतलब... ?
चौपटनाथ : वो क्या है मास्टर जी कि मेरे घर कुछ 'जतिथि' आये हुए हैं ?
मास्टर जी : जतिथि नहीं बेटे, अतिथि... ! अतिथि देवो भवः... !
चौपटनाथ : वो तो मालुम है मास्टर जी ! पर मेरे घर अतिथि नहीं 'जतिथि' आये हुए हैं।
मास्टर जी : जतिथि क्या होता है ?
चौपटनाथ : अतिथि क्या होता है ?
मास्टर जी : अतिथि उन्हें कहते हैं, जिनके आने की तिथि नहीं मालुम हो।
चौपटनाथ : और 'जतिथि' उन्हें कहते हैं, जिनके जाने की तिथि नहीं मालुम हो। अब देखिये न... मेरे घर जो आये हैं उनके आने की तिथि तो हमें दो महीने पहले से मालुम थी। तो फिर वे अतिथि कैसे हुए ? पर जायेंगे कब ये किसी को पता नहीं !
हा...हा...हा...हा..... !!!
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अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
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12 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा!! बहुत सही...चौपटनाथ!

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  2. सुन्दर परिभाषा, गलत क्या कहा

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  3. जतिथि तुम कब जाओगे... हा....हा...हा.... !

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  4. हा,,,हा,,हा,,हा
    बढ़िया ....सही बात है
    -
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    आप लोगों से निवेदन है कि
    कहीं किसी के यहाँ जाएँ तो सतिथि बनकर ही जाएँ :)

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  5. अत्यन्त सार्थ लतीफ़ा, पसन्द आया!

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