हंसी के बारे में …एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत बीमारियां तनाव के कारण अधिक बिगड़ जाते हैं।तनाव दूर करें।सदा प्रसन्न रहें।हंसे, मुस्कुराएं। ठहाके लगाएं। |
हास्य फुहार : मैं आपका पति हूं!खदेरन की पत्नी फुलमतिया बहुत ही झगड़ालु है। एक दिन उसपर बरस पड़ी। बेचारा खदेरन मुंह लटकाए सुनता जा रहा था। बोले ही जा रही थी,“…. कायर कहीं के! तुम आदमी हो कि चूहे?”
खदेरन गिड़गिड़ाया, “फुलमतिया जी! मैं आपका पति हूं!! अगर चूहा होता तो आप थर-थर कांप रही होतीं मुझे सामने देख कर!!!” |
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बुधवार, 30 जून 2010
मैं आपका पति हूं!
मंगलवार, 29 जून 2010
गड्ढा
गड्ढा खदेरन ने भोलेपन से जवाब दिया, “जी फाट्क बबू रात में मेरा तोता मर गया था। उसे ही दफ़नाना है।” फाटक बाबू बोले, “वाह! ये तो अच्छी बात है भाई! लगता है तोते से तुम बहुत प्यार करते थे। लेकिन जहां तक मेरी समझ है, एक तोते के लिहाज़ से यह गड्ढा तो काफ़ी बड़ा लग रहा है भाई। इतना बड़ा गड्ढा खोदने की क्या ज़रूरत आ पड़ी?” |
सोमवार, 28 जून 2010
रिश्तेदार
हंसी के बारे में …आज कल जगह-जगह लाफ्टर क्ल्ब खुल गए हैं। पर्कों मे भी। कुछ लोग सुबह पार्क में जमा हो जाते हैं और ज़ोर-ज़ोर से हंसते हैं। पर दरअसल ये लोग आर्टिफिशियल हंसी हंसते हैं। इस तरह की हंसी का स्वास्थ्य पर कोई साकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
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हास्य फुहार :: रिश्तेदारखदेरन फाटाक बाबू से, “फाटक बाबू आजकल देखता हूं कि आपके यहां कोई रिश्तेदार नहीं आते। कैसे मैनेज किया आपने उनका नहीं आना?” फाटक बाबू, “बहुत साधारण सा फॉर्मुला अपनाया। जो धनी रिश्तेदार आते थे उनसे मैंने रुपये उधार लेना शुरु कर दिया। और जो ग़रीब रिश्तेदार आते थे उनको उन्हीं रुपयों से क़र्ज़ देना शुरु कर दिया। कुछ दिनों के बाद दोनों ने ही आना बंद कर दिया।” |
रविवार, 27 जून 2010
गरम पानी
हंसी के बारे में … यानी …….. ::: पैसे दो और हंसी ख़्ररीदो!!! ::: |
हास्य फुहार :: गरम पानीफाटक बाबू एक दिन होटल में खाना खाने गये। बेयरा खदेरन ने उन्हें सूप सर्व किया। उन्हों ने जैसे सूप का प्याला उठाया पीने के लिए तो उन्हें उसमें गिरी मरी मक्खी पर नज़र गई। बेयरा को संबोधित करते हुए फाटक बाबू बोले, “बेयरा! बेयरा! इस सूप में मरी हुई मक्खी है।” बेयरा खदेरन ने जवाब दिया, “क्या करूँ सर! ये गर्म पानी इनकी जान ले लेता है।” |
शनिवार, 26 जून 2010
देर से घर
देर से घर |
दोस्तों के बीच अपनी-अपनी श्रीमतीजी को लेकर बात-चीत चल रही थी। अब बहस छिड़ गई कि अगर अगर देर से घर जाते हो तो क्या बहाने बनाते हो? कहते हो? सब अपना-अपना फार्मूला सुझा रहे थे।
फाटक बाबू ने अपनी हक़ीक़त बयान कर दी, “मुझे कुछ कहने की नौबत ही कहां आती है। सब कुछ तो श्रीमतीजी ही कह देती हैं। |
शुक्रवार, 25 जून 2010
पूरे जहान में …. !
पूरे जहान में….! |
फाटक बाबू की पत्नी खंजन ने एक दिन फाटक बाबू से कहा, “पूरे जहान में चिराग लेकर भी ढूंढोगो तो मेरी जैसी पत्नी नहीं मिलेगी।”फाटक बाबू ने जवाब दिया, “ये तुमसे किसने कहा कि दूसरी बार भी मैं तुम जैसी ही ढूंढूगा।” |
गुरुवार, 24 जून 2010
आना जरूर
वाकया खदेरन की शादी के समय का है।
खदेरन की शादी में फाटक बाबू शामिल नहीं हुए थे। तो खदेरन ने उनसे हुई अगली मुलाकात पर अपनी शिकायत दर्ज की – “फाटक बाबू – आप मेरी शादी में नहीं आए।”
फाटक बाबू ने कहा, “- पर तुमने तो मुझे बताया ही नहीं कि तुम्हारी शादी कब हो रही है?”
खदेरन बोला, – “क्या कहते हैं फाटक बाबू। चिट्ठी लिखा तो था।”
फाटक बाबू ने कहा, “पर मुझे तो कोई चिट्ठी मिली ही नहीं।”
खदेरन बो;, “फाटक बाबू। ये भी कोई बात हुई चिट्ठी में मैंने लिखा तो था कि चाहे मेरा पत्र आपको मिले या न मिले, आप मेरी शादी में आना जरूर।”बुधवार, 23 जून 2010
फाटक बाबू का इंटरव्यू
मंगलवार, 22 जून 2010
ये तो होना ही था!!
एक बार फिर से यह बताना चहती हूं कि इस ब्लॉग पर जो भी प्रस्तुत किया जाता उस पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। आप शौक से उसे चुरा सकते हैं! कहीं से कुछ सुन लिया, कुछ पढ़ लिया, अच्छा लगा तो वह सब आपके साथ बांटना मात्र मेरा उद्देश्य है। सबके जीवन में थोड़ी हंसी, थोड़ी मुस्कान बिखरे! बस यही कामना है! आज से हास्य फुहार के साथ हंसी के बारे में … भी प्रस्तुत करने की मंशा है। |
ये तो होना ही था!! |
हंसी के बारे में … | हास्य फुहार |
हंसना शरीर के लिए दवा का काम करता है।
इससे स्ट्रेस कम होता है।शरीर के सारे अंग सुचारू रूप से काम करते हैं।जो व्यक्ति सकारात्मक नज़रिया रखता है, हमेशा हंसता-मुस्कुराता है उस पर दवाइयां ज़ल्दी असर करती हैं। |
एक कार को एक ट्रक ने ठोक दिया। मामला पुलिस, थाने तक पहुंचा।
इंस्पेक्टर ने दुर्घटना स्थल का मुआयना किया। कार और ट्रक के हालत परखे और अपना निर्णय दिया –“ट्रक वाले की कोई गलती नहीं है।”कार वाला परेशान। ट्रक वाला हैरान।इंस्पेक्टर ने उनकी हैरानी-परेशानी दूर करने के लिए बताया –“कार के पीछे क्या लिखा है?”कार वाला बोला, “जी लिखा है सावन को आने दो।”इंस्पेक्टर ने ट्रकवाले से पूछा, “और ट्रक के पीछे क्या लिखा है?”ट्रक वाला बोला, “आया सावन झूम के।”इंस्पेक्टरबोला, “तो ये जो टक्क्ड़ हुआ – ये तो होना ही था।” |
पसंद आए, न-आए,ठहाके ज़रूर लगाएंक्यूंकि हंसी ….….. सेहतमंद बनाए!! |
सोमवार, 21 जून 2010
अक्ल बड़ी या भैंस ?
भागीरथ बोला, "अरे मास्टर जी ! इस में कौन सी बड़ी बात है ? आप दोनों का डेट ऑफ़ बर्थ पता कीजिये ! फिर आप खुद भी समझ सकते हैं कि 'अक्ल बड़ी या भैंस'।"
अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
रविवार, 20 जून 2010
व्हाट इज दही ?
फाटक बाबू ने बताया, 'दिस ईस इज चूरा.... ! चूरा मीन्स बिटेन राईस।" एंड दिस इज दही... !"
अँगरेज़ मित्र ने पूछा, "व्हाट इज दही ?"
फाटक बाबू तो बगले झाँकने लगे। ये तो खाने के बदले लगा अंग्रेजी का इम्तिहान लेने। पति को सर खुजलाते देख मिसेज फाटक ने मोर्चा संभाला।
मिसेज फाटक ने कहा, "दिस इज दही ! मीन्स.... मिल्क स्लेप्ट एट नाईट। इन मोर्निंग बिकेम टाईट।
दोस्त भी समझदार थे। बोले, " यू आर राईट। यू आर राईट। दैट'स व्हाय इट लुक्स व्हाईट।
अगर दही की परिभाषा पसंद आयी तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
शनिवार, 19 जून 2010
शुभ कामनाएं !
शुक्रवार, 18 जून 2010
आदम और इव
गुरुवार, 17 जून 2010
फाटक बाबू का रेडिओ
बुधवार, 16 जून 2010
स्टाफ हैं
मंगलवार, 15 जून 2010
ब्यूटी-ब्यूटी
ब्यूटी-ब्यूटी |
फाटक बाबू काफी परेशान थे। इधर से उधर घूम रहे थे। मैं उनकी परेशानी जानने की इच्छा से उनके पास गई और पूछी, “फाटक बाबू क्या बात है?”फाटक बाबू ने बताया, “मैं बहुत परेशान हूँ।”मैंने कहा, “आपकी परेशानी तो आपके चेहरे से ही झलक रही है। पर इसका कारण क्या है?फाटक बाबू ने कारण बताया। बोले, कल मेरी श्रीमतीजी का जन्मदिन था। भोरे-भोर तैयार हो कर निकलने लगी कहीं जाने के लिए। हमने पूछ ही दिया, “इ सुबह-सुबह कहां जाने के लिए तैयार हो?”ऊ तो दरबज्जा झट से खोलकर बाहर निकलते हुए बोली, “आके बताऊँगी और हां तुम्हें एक सरप्राईज भी दूंगी।”एक घंटा बीत गया तो हमारा धुक-चुकी भी बढ़ गया पूरे साढ़े चार घंटा बाद लौटी। त हमरे से रहा नहीं गया। पूछ ही लिए , “कहां गई थी ? एतना देर लग गया?”वो सूरजमुखी की तरह मुस्कुरात हुए बोली, “ब्यूटी पार्लर!”हम ऊ को सिर से पैर तक देखे। फिर पूछे, “त क्या सब ब्यूटी पार्लर बन्दे था का?”बस उनका मुंह सूरजमुखी से ज्वालामुखी हो गया। और हमरे से मुंह फुलाए बैठी है।” |
सोमवार, 14 जून 2010
यह क्या है?!
यह क्या है?! |
एक विदेशी पर्यटक टैक्सी से आगरे पर्यटन के लिए निकला। सबसे पहले ताजमहल आया।उसने टैक्सी ड्राइवर से पूछा, “यह क्या है?”टैक्सी ड्राइवर ने कहा, “ताजमहल!”विदेशी, “कितने दिनों में बना?”ड्राइवर, “22 साल में।”विदेशी, “हमारे यहां के मजदूर तो ऐसा कंस्ट्रक्शन 2 साल में ही बना देते हैं।”फिर एक दूसरी इमारत आइ।विदेशी ने पूछा, “यह क्या है?”ड्राइवर, “लाल किला!”विदेशी, “कितने दिनों में बना?”ड्राइवर, “दस साल में।”विदेशी, “हमारे यहां के मजदूर तो ऐसा कंस्ट्रक्शन एक साल में ही बना देते हैं।”इसी तरह से पूछते उत्तर देते-देते दिल्ली आ गई।एक लम्बा सा स्तम्भ जैसा स्ट्रक्चर था।विदेशी ने पूछा, “यह क्या है?”ड्राइवर – “यहां लिखा है – कुतुब मीनार!”विदेशी – “कितनों दिनों में बना?”ड्राइवर- “पता नहीं। सुबह यहां से जा रहा था तब तो यहां कुछ भी नहीं था।” |
रविवार, 13 जून 2010
जिंदगी एक गधे के साथ
जिंदगी एक गधे के साथ |
भगावन की प्रेमिका के पिता ने भगावन को समझाया,
भगावन ने बड़े इतमिनान से जवाब दिया,
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शनिवार, 12 जून 2010
अंडे में मुर्गी का बच्चा
अंडे में मुर्गी का बच्चा |
अध्यापिका ने सभी छात्रों से प्रश्न पूछा, “अंडे से मुर्गी का बच्चा कैसे निकलता है?”भगावन ने जवाब दिया, “यह कोई बड़ी बात है। फोड़कर। पर ज्यादा रोचक तो यह है कि वह अंदर कैसे गया?” |
शुक्रवार, 11 जून 2010
एक अच्छा शीशा
एक अच्छा शीशा |
बॉस ने फाटक बाबू को आदेश दिया,
फाटक बाबू बोले,
थोड़ी देर बाद फाटक बाबू को खाली हाथ लौटा देख बॉस ने पूछा,
फाटक बाबू ने बताया,
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गुरुवार, 10 जून 2010
मैन्स वियर्स
मैन्स वियर्स |
जज – तुमने चोरी करते वक्त बीबी और बच्चों के बारे में क्यों नहीं सोचा।चोर- सोचा था मी लार्ड, पर दुकान में सिर्फ मेन्स वीयर्स ही थे। |
बुधवार, 9 जून 2010
अंतर
अंतर |
खंजन देवी ने अपनी सहेली मैना देवी से बातों बातों में पूछा,
मैना देवी ने जवाब दिया,
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मंगलवार, 8 जून 2010
फिल्म की टिकट
फिल्म की टिकट |
श्रीमान जी श्रीमती जी से,
श्रीमती जी आश्चर्य से,
श्रीमान जी,
श्रीमती जी,
श्रीमान जी,
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सोमवार, 7 जून 2010
मास्को को चीन की राजधानी
मास्को चीन की राजधानी |
खदेरन का बेटा भगावन जोर जोर से भगवान से प्रार्थना कर रहा था,
खदेरन ने जब यह सुना तो वह बोला,
भगावन ने जवाब दिया,
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रविवार, 6 जून 2010
आप उदास क्यों है?
आप उदास क्यों हैं? |
शनिवार, 5 जून 2010
इल्जाम
इल्जाम |
शुक्रवार, 4 जून 2010
गुरुवार, 3 जून 2010
जहर
बुधवार, 2 जून 2010
निमंत्रण
मंगलवार, 1 जून 2010
निशाना
निशाना |
पति ने पत्नी के विरूद्ध तलाक का मुकदमा दायर कर दिया। अदालत में पेशी हुई।जज साहब ने पति से पूछा – “बताओ क्या बात है?”
पति ने कहा - “ये मेरा सिर देखिए। इन्होंने आज बेलन से मार कर मेरा सिर फोड़ दिया।”
जज साहब ने उनकी पत्नी से पूछा – “क्या आपने इन्हें आज बेलन से मारा।”पत्नी ने कहा, “हां जज साहब! पर यह काम तो मैं पिछले दस वर्षों से कर रही हूं।”
जज साहब ने पति से पूछा, “क्या ये जो कह रही है सही है?”
पति ने हामी भरी, “जी हुजूर।”जज ने उससे पूछा, “फिर तुम आज ही क्यों आए हो?”
पति ने जवाब दिया, “जी! पहले इनका निशाना कच्चा था।” |