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बुधवार, 30 जून 2010

मैं आपका पति हूं!

हंसी के बारे में …

एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत बीमारियां तनाव के कारण अधिक बिगड़ जाते हैं।

तनाव दूर करें।

सदा प्रसन्‍न रहें।

हंसे, मुस्‍कुराएं। ठहाके लगाएं।

हास्य फुहार : मैं आपका पति हूं!


खदेरन की पत्नी फुलमतिया बहुत ही झगड़ालु है। एक दिन उसपर बरस पड़ी। बेचारा खदेरन मुंह लटकाए सुनता जा रहा था। बोले ही जा रही थी,“…. कायर कहीं के! तुम आदमी हो कि चूहे?”

 

खदेरन गिड़गिड़ाया, “फुलमतिया जी! मैं आपका पति हूं!! अगर चूहा होता तो आप थर-थर कांप रही होतीं मुझे सामने देख कर!!!”

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मंगलवार, 29 जून 2010

गड्ढा

गड्ढा


एक दिन सबेरे-सबेरे खदेरन अपने मुहल्ले से बाहर एक गड्ढा खोद रहा था। उसी समय फाटक बाबू नित्य टहलने के क्रम में उस जगह से गुज़रे।

खदेरन को गड्ढा खोदते देख उन्हें विस्मय हुआ। आश्चर्यमिश्रित उत्कंठा से पूछे, “अरे! खदेरन! यह क्या हो रहा है?”

खदेरन ने भोलेपन से जवाब दिया, “जी फाट्क बबू रात में मेरा तोता मर गया था। उसे ही दफ़नाना है।”

फाटक बाबू बोले, “वाह! ये तो अच्छी बात है भाई! लगता है तोते से तुम बहुत प्यार करते थे। लेकिन जहां तक मेरी समझ है,  एक तोते के लिहाज़ से यह गड्ढा तो काफ़ी बड़ा लग रहा है भाई। इतना बड़ा गड्ढा खोदने की क्या ज़रूरत आ पड़ी?”


खदेरन ने बड़े मासूमियत से जवाब दिया, “ऐसा है फाटक बाबू कि मेरा तोता, तो आपके कुत्ते के पेट में है न!”

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सोमवार, 28 जून 2010

रिश्तेदार

 

हंसी के बारे में …

आज कल जगह-जगह लाफ्टर क्ल्ब खुल  गए हैं। पर्कों मे भी। कुछ लोग सुबह पार्क में जमा हो जाते हैं और ज़ोर-ज़ोर से हंसते हैं। पर दरअसल ये लोग आर्टिफिशियल हंसी हंसते हैं। इस तरह की हंसी का स्वास्थ्य पर कोई साकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

जब तक हंसी अंदर से न निकले उसका क्या लाभ?

हास्य फुहार :: रिश्तेदार

खदेरन फाटाक बाबू से, “फाटक बाबू आजकल देखता हूं कि आपके यहां कोई रिश्तेदार नहीं आते। कैसे मैनेज किया आपने उनका नहीं आना?”

फाटक बाबू, “बहुत साधारण सा फॉर्मुला अपनाया। जो धनी रिश्तेदार आते थे उनसे मैंने रुपये उधार लेना शुरु कर दिया। और जो ग़रीब रिश्तेदार आते थे उनको उन्हीं रुपयों से क़र्ज़ देना शुरु कर दिया। कुछ दिनों के बाद दोनों ने ही आना बंद कर दिया।”

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रविवार, 27 जून 2010

गरम पानी

हंसी के बारे में …


आज कंपीटिशन काफी बढ गया है। हर क्षेत्र में। हर कोई सफल होने की होड़ में लगा है। इस दौड़ मे वह इतना आगे निकल गया है कि उसे खुलकर हंसने का समय ही नहीं मिलता है। हंसने के लिए क्लब बन रहे हैं। वह इन क्लबों का सदस्य बनता है। इन क्लबों में अच्छी खासी भीड़ जुटने लगी है। लोग अपनी व्यस्त ज़िन्दगी में से समय निकाल कर यहां आते हैं ठहाके लगाने।

यानी ……..

::: पैसे दो और हंसी ख़्ररीदो!!! :::

हास्य फुहार :: गरम पानी


फाटक बाबू एक दिन होटल में खाना खाने गये। बेयरा खदेरन ने उन्हें सूप सर्व किया। उन्हों ने जैसे सूप का प्याला उठाया पीने के लिए तो उन्हें उसमें गिरी मरी मक्खी पर नज़र गई।

बेयरा को संबोधित करते हुए फाटक बाबू बोले, “बेयरा! बेयरा! इस सूप में मरी हुई मक्खी है।”

बेयरा खदेरन ने जवाब दिया, “क्या करूँ सर! ये गर्म पानी इनकी जान ले लेता है।”

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शनिवार, 26 जून 2010

देर से घर

देर से घर

 

दोस्तों के बीच अपनी-अपनी श्रीमतीजी को लेकर बात-चीत चल रही थी। अब बहस छिड़ गई कि अगर अगर देर से घर जाते हो तो क्या बहाने बनाते हो? कहते हो? सब अपना-अपना फार्मूला सुझा रहे थे।

 

फाटक बाबू ने अपनी हक़ीक़त बयान कर दी, “मुझे कुछ कहने की नौबत ही कहां आती है। सब कुछ तो श्रीमतीजी ही कह देती हैं।

शुक्रवार, 25 जून 2010

पूरे जहान में …. !

 

पूरे जहान में….!

फाटक बाबू की पत्‍नी खंजन ने एक दिन फाटक बाबू से कहा, “पूरे जहान में चिराग लेकर भी ढूंढोगो तो मेरी जैसी पत्‍नी नहीं मिलेगी।”

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फाटक बाबू ने जवाब दिया, “ये तुमसे किसने कहा कि दूसरी बार भी मैं तुम जैसी ही ढूंढूगा।”

गुरुवार, 24 जून 2010

आना जरूर

वाकया खदेरन की शादी के समय का है।

खदेरन की शादी में फाटक बाबू शामिल नहीं हुए थे। तो खदेरन ने उनसे हुई अगली मुलाकात पर अपनी शिकायत दर्ज की फाटक बाबू आप मेरी शादी में नहीं आए।

फाटक बाबू ने कहा, - पर तुमने तो मुझे बताया ही नहीं कि तुम्‍हारी शादी कब हो रही है?

खदेरन बोला, क्‍या कहते हैं फाटक बाबू। चिट्ठी लिखा तो था।

फाटक बाबू ने कहा, पर मुझे तो कोई चिट्ठी मिली ही नहीं।

खदेरन बो;, फाटक बाबू। ये भी कोई बात हुई चिट्ठी में मैंने लिखा तो था कि चाहे मेरा पत्र आपको मिले या न मिले, आप मेरी शादी में आना जरूर।

अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

बुधवार, 23 जून 2010

फाटक बाबू का इंटरव्यू

इंटरव्यू में अधिकारी ने फाटक बाबू से पूछा,
"बताइये, मनमोहन सिंह सिर्फ इवनिंग वाक के लिए ही क्यूँ जाते हैं ?
फाटक बाबू ने तपाक से जवाब दिया,
"लीजिये ! इहो कौनो पूछने वाली बात है ? अरे आप जानते नहीं का... ? उ पी। एम। हैं... पी। एम। !!! सुबह में कहियो पी एम देखे हैं ?"
हा... हा... हा... !!!
अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

मंगलवार, 22 जून 2010

ये तो होना ही था!!

 

एक बार फिर से यह बताना चहती हूं कि इस ब्लॉग पर जो भी प्रस्तुत किया जाता उस पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। आप शौक से उसे चुरा सकते हैं! कहीं से कुछ सुन लिया, कुछ पढ़ लिया, अच्छा लगा तो वह सब आपके साथ बांटना मात्र मेरा उद्देश्य है। सबके जीवन में थोड़ी हंसी, थोड़ी मुस्कान बिखरे! बस यही कामना है! आज से हास्य फुहार के साथ हंसी के बारे में … भी प्रस्तुत करने की मंशा है।


ये तो होना ही था!!

 

हंसी के बारे में …

हास्य फुहार

हंसना शरीर के लिए दवा का काम करता है।

 

इससे स्ट्रेस कम होता है।

शरीर के सारे अंग सुचारू रूप से काम करते हैं।

जो व्यक्ति सकारात्मक नज़रिया रखता है, हमेशा हंसता-मुस्कुराता है उस पर दवाइयां ज़ल्दी असर करती हैं।

 

एक कार को एक ट्रक ने ठोक दिया। मामला पुलिस, थाने तक पहुंचा।

 

इंस्‍पेक्‍टर ने दुर्घटना स्‍थल का मुआयना किया। कार और ट्रक के हालत परखे और अपना निर्णय दिया –

“ट्रक वाले की कोई गलती नहीं है।”

कार वाला परेशान। ट्रक वाला हैरान।

इंस्‍पेक्‍टर ने उनकी हैरानी-परेशानी दूर करने के लिए बताया –

“कार के पीछे क्‍या लिखा है?”

कार वाला बोला, “जी लिखा है सावन को आने दो।”

इंस्पेक्टर ने ट्रकवाले से पूछा, “और ट्रक के पीछे क्या लिखा है?”

ट्रक वाला बोला, “आया सावन झूम के।”

इंस्‍पेक्‍टरबोला, “तो ये जो टक्क्ड़ हुआ – ये तो होना ही था।”

पसंद आए, न-आए,

ठहाके ज़रूर लगाएं

क्यूंकि हंसी ….

….. सेहतमंद बनाए!!

सोमवार, 21 जून 2010

अक्ल बड़ी या भैंस ?

मास्टर जी ने वर्ग में पूछा, "भागीरथ ! तुम मुझे ये बताओ कि अक्ल बड़ी या भैंस ?"

भागीरथ बोला, "अरे मास्टर जी ! इस में कौन सी बड़ी बात है ? आप दोनों का डेट ऑफ़ बर्थ पता कीजिये ! फिर आप खुद भी समझ सकते हैं कि 'अक्ल बड़ी या भैंस'।"

अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

रविवार, 20 जून 2010

व्हाट इज दही ?

फाटक बाबू के घर एक अँगरेज़ दोस्त आये। मिसेज फाटक ने सुबह-सुबह नाश्ते में चूरा-दही परोसा। अँगरेज़ मित्र ने ब्रेकफास्ट का मेनू जानना चाहा।

फाटक बाबू ने बताया, 'दिस ईस इज चूरा.... ! चूरा मीन्स बिटेन राईस।" एंड दिस इज दही... !"
अँगरेज़ मित्र ने पूछा, "व्हाट इज दही ?"

फाटक बाबू तो बगले झाँकने लगे। ये तो खाने के बदले लगा अंग्रेजी का इम्तिहान लेने। पति को सर खुजलाते देख मिसेज फाटक ने मोर्चा संभाला।

मिसेज फाटक ने कहा, "दिस इज दही ! मीन्स.... मिल्क स्लेप्ट एट नाईट। इन मोर्निंग बिकेम टाईट।

दोस्त भी समझदार थे। बोले, " यू आर राईट। यू आर राईट। दैट'स व्हाय इट लुक्स व्हाईट।


अगर दही की परिभाषा पसंद आयी तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

शनिवार, 19 जून 2010

शुभ कामनाएं !

जब आप इस जहां से जायेंगे,तो दूर कहीं एक नयी जिन्दगी पायेंगे !
इस जनम में तो जो हुआ, वो बहुत बुरा हुआ,
अगले जनम में, चार पैर और एक लम्बी पूछ पायेंगे !!
हा.... हा...हा...हा... !!!!
अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

शुक्रवार, 18 जून 2010

आदम और इव

आदम : इव डार्लिंग ! तुम मुझ से सचमुच बहुत प्यार करती हो न ?
इव : पता नहीं... !
आदम : क्या पता नहीं ? प्यार नहीं करती हो तो शादी क्यूँ की मुझ से... ?
इव : हेल्लो... ! बोल तो ऐसे रहे हो जैसे मेरे सामने और भी कोई ऑप्शन था... !!
ही... ! ही... ! ही... ! ही... ! हे... ! हे... ! हे... ! हे.... !!
और युग बीत गए मगर आदमी की यह गलतफहमी दूर नहीं हुई।
हा... हा... हा... हा.... !!!
अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

गुरुवार, 17 जून 2010

फाटक बाबू का रेडिओ

फाटक बाबू ने पिछले ही हफ्ते नया-नया रेडिओ खरीदा था। कल से अचानक बजना ही बंद हो गया। परेशान फाटक बाबू ने रेडिओ का कबिनेट खोला। उसके अन्दर एक चूहा मारा हुआ था। उन्होंने विजयी उत्साह के साथ श्रीमती जी से कहा, "ये लो जी... ये तो सिंगर ही मर गया... तो गाना कौन गयायेगा ?
ही.... ! ही.... !! ही.... !!! ही.... !!!!
अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

बुधवार, 16 जून 2010

स्टाफ हैं

स्टाफ हैं

_a_stump चुनाव का माहौल था। नेताजी वोट मांगने निकले।

 

रास्ते में भिखारी मिल गया। बोला, “अल्ला के नाम पर दे-दे, इश्वर के नाम पर दे दे!!”

 

“स्टाफ हैं हम, अबे हमें तो छोड़।” नेताजी यह कह आगे निकल गए।

मंगलवार, 15 जून 2010

ब्यूटी-ब्यूटी

ब्यूटी-ब्यूटी

फाटक बाबू काफी परेशान थे। इधर से उधर घूम रहे थे। मैं उनकी परेशानी जानने की इच्छा से उनके पास गई और पूछी, “फाटक बाबू क्या बात है?”

फाटक बाबू ने बताया, “मैं बहुत परेशान हूँ।”

मैंने कहा, “आपकी परेशानी तो आपके चेहरे से ही झलक रही है। पर इसका कारण क्या है?

फाटक बाबू ने कारण बताया। बोले, कल मेरी श्रीमतीजी का जन्मदिन था। भोरे-भोर तैयार हो कर निकलने लगी कहीं जाने के लिए। हमने पूछ ही दिया, “इ सुबह-सुबह कहां जाने के लिए तैयार हो?”

ऊ तो दरबज्जा झट से खोलकर बाहर निकलते हुए बोली, “आके बताऊँगी और हां तुम्हें एक सरप्राईज भी दूंगी।”

एक घंटा बीत गया तो हमारा धुक-चुकी भी बढ़ गया पूरे साढ़े चार घंटा बाद लौटी। त हमरे से रहा नहीं गया। पूछ ही लिए , “कहां गई थी ? एतना देर लग गया?”

वो सूरजमुखी की तरह मुस्कुरात हुए बोली, “ब्यूटी पार्लर!”

हम ऊ को सिर से पैर तक देखे। फिर पूछे, “त क्या सब ब्यूटी पार्लर बन्दे था का?”

बस उनका मुंह सूरजमुखी से ज्वालामुखी हो गया। और हमरे से मुंह फुलाए बैठी है।”

सोमवार, 14 जून 2010

यह क्या है?!

यह क्या है?!

एक विदेशी पर्यटक टैक्सी से आगरे पर्यटन के लिए निकला। सबसे पहले ताजमहल आया।

उसने टैक्सी ड्राइवर से पूछा, “यह क्या है?”

टैक्सी ड्राइवर ने कहा, “ताजमहल!”

विदेशी, “कितने दिनों में बना?”

ड्राइवर, “22 साल में।”

विदेशी, “हमारे यहां के मजदूर तो ऐसा कंस्ट्रक्शन 2 साल में ही बना देते हैं।”

फिर एक दूसरी इमारत आइ।

विदेशी ने पूछा, “यह क्या है?”

ड्राइवर, “लाल किला!”

विदेशी, “कितने दिनों में बना?”

ड्राइवर, “दस साल में।”

विदेशी, “हमारे यहां के मजदूर तो ऐसा कंस्ट्रक्शन एक साल में ही बना देते हैं।”

इसी तरह से पूछते उत्तर देते-देते दिल्ली आ गई।

एक लम्बा सा स्तम्भ जैसा स्ट्रक्चर था।

विदेशी ने पूछा, “यह क्या है?”

ड्राइवर – “यहां लिखा है – कुतुब मीनार!”

विदेशी – “कितनों दिनों में बना?”

ड्राइवर- “पता नहीं। सुबह यहां से जा रहा था तब तो यहां कुछ भी नहीं था।”

रविवार, 13 जून 2010

जिंदगी एक गधे के साथ

जिंदगी एक गधे के साथ

भगावन की प्रेमिका के पिता ने भगावन को समझाया,

“मैं नही चाहता कि मेरी बेटी पूरी जिंदगी एक गधे के साथ बिताए।”

भगावन ने बड़े इतमिनान से जवाब दिया,

“बस इसीलिए तो मैं उसे यहां से ले जाने आया हूँ।”

शनिवार, 12 जून 2010

अंडे में मुर्गी का बच्चा

अंडे में मुर्गी का बच्चा

अध्यापिका ने सभी छात्रों से प्रश्‍न पूछा, “अंडे से मुर्गी का बच्चा कैसे निकलता है?”

भगावन ने जवाब दिया, “यह कोई बड़ी बात है। फोड़कर। पर ज्यादा रोचक तो यह है कि वह अंदर कैसे गया?”

शुक्रवार, 11 जून 2010

एक अच्छा शीशा

एक अच्छा शीशा

बॉस ने फाटक बाबू को आदेश दिया,

“एक अच्छा शीशा लेकर आओ जिसमें मेरा चेहरा दिखाई दे।”

फाटक बाबू बोले,

“जी सर।”

थोड़ी देर बाद फाटक बाबू को खाली हाथ लौटा देख बॉस ने पूछा,

“क्या हुआ?”

फाटक बाबू ने बताया,

“मैं सब दुकानों पर देख आया। सब में मेरा चेहरा ही दीख रहा है।”

गुरुवार, 10 जून 2010

मैन्स वियर्स

मैन्स वियर्स

जज – तुमने चोरी करते वक्त बीबी और बच्चों के बारे में क्यों नहीं सोचा।

चोर- सोचा था मी लार्ड, पर दुकान में सिर्फ मेन्स वीयर्स ही थे।

बुधवार, 9 जून 2010

अंतर

अंतर

खंजन देवी ने अपनी सहेली मैना देवी से बातों बातों में पूछा,

“ब्यॉय फ्रेंड और हसबैंड में क्या अंतर है?”

मैना देवी ने जवाब दिया,

“लगभग 20 किलो।”

मंगलवार, 8 जून 2010

फिल्म की टिकट

फिल्म की टिकट

श्रीमान जी श्रीमती जी से,

“डार्लिंग! इस रविवार को मैं पूरी तरह से एंज्वाय करना चाहता हूँ।”

श्रीमती जी आश्चर्य से,

“अच्छा!”

श्रीमान जी,

“हां! इसलिए मैं नई फिल्म थ्री इडियट्स की 3 टिकट लाया हूँ।”

श्रीमती जी,

“तीन क्यों ? हम तो दो ही हैं।”

श्रीमान जी,

“एक तुम्हारे लिए , एक तुम्हारी मां के लिए और एक तुम्हारी बहन के लिए।”

सोमवार, 7 जून 2010

मास्को को चीन की राजधानी

मास्को चीन की राजधानी

 

खदेरन का बेटा भगावन जोर जोर से भगवान से प्रार्थना कर रहा था,

“हे भगवान! मास्को को चीन की राजधानी बना दो।”

खदेरन ने जब यह सुना तो वह बोला,

“बेटा भगावन यह क्या अनाप शनाप प्रार्थना कर रहे हो?”

भगावन ने जवाब दिया,

“क्या बताऊं पापा आज भूगोल के पेपर में मैंने गलती से मास्को को चीन की राजधानी लिख दिया है।”

रविवार, 6 जून 2010

आप उदास क्यों है?

आप उदास क्यों हैं?

_a_checkpoint01 नौकरानी फुलमतिया अपनी मालकिन खंजन को उदास देखकर पूछती है,

“आप उदास क्यों है? ”

_a_checkpointEVIL01 मालकिन खंजन नौकरानी फुलमतिया को अपने उदास होने का राज़ बताती है,

“तुम्हारे साहब अपने ऑफिस की टाइपिस्ट से प्यार करने लगे हैं।”

_a_checkpoint02 मालकिन खंजन की बात सुन नौकरानी फुलमतिया चीखती है,

“नहीं ऐसा नहीं हो सकता। यह बात आप मुझे जलाने के लिए कह रही हैं।”

शनिवार, 5 जून 2010

इल्जाम

 

इल्जाम

_a_hand_dunno एक मामूली से झगड़े के चलते वे छह जने पकड़े गए और शुरुआती कार्रवाई के बाद अदालत में उनकी पेशी हुई।

 

_a_hand_no जज साहब ने आरोपी पक्ष के द्वारा प्रस्तुत किया गया पूरा वाक़या सुना, और अभियुक्तों से मुख़ातिब होते हुए बोले, “इतना मामूली झगड़ा तो तुम कोर्ट के बाहर भी निपटा सकते थे।”

 

_a_hand आरोपी नं4 ने सफ़ाई में कहा, “निपटा तो हम हम कोर्ट के बाहर ही रहे थे कि पुलिस हमें झगड़ा करने के इल्जाम में यहां पकड़ लाई।”

शुक्रवार, 4 जून 2010

परिभाषा

अनुभव

भूतकाल में की गई ग़लतियों का  दूसरा नाम।_a_picket2

गुरुवार, 3 जून 2010

जहर

_a_checkpoint03 खदेरन फाटक बाबू से, “आज शाम तक अगर पचास हजार रूपये का इंतजाम नहीं हुआ तो बेइज्जती से बचने के लिए मुझे जहर पी लेना पड़ेगा। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?”

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फाटक बाबू, “क्या करूँ खदेरन? मेरे पास तो एक बूंद भी नहीं है!”

मंगलवार, 1 जून 2010

निशाना

निशाना

पति ने पत्नी के विरूद्ध तलाक का मुकदमा दायर कर दिया। अदालत में पेशी हुई।

जज साहब ने पति से पूछा – “बताओ क्या बात है?”

 

पति ने कहा - “ये मेरा सिर देखिए। इन्होंने आज बेलन से मार कर मेरा सिर फोड़ दिया।”

 

जज साहब ने उनकी पत्नी से पूछा – “क्या आपने इन्हें आज बेलन से मारा।”

पत्नी ने कहा,  “हां जज साहब! पर  यह काम तो मैं पिछले दस वर्षों से कर रही हूं।”

 

जज साहब ने पति से पूछा, “क्या ये जो कह रही है सही है?”

 

पति ने हामी भरी, “जी हुजूर।”

जज ने उससे पूछा, “फिर तुम आज ही क्यों आए हो?”

 

पति ने जवाब दिया, “जी! पहले इनका निशाना कच्चा था।”