देर से घर |
दोस्तों के बीच अपनी-अपनी श्रीमतीजी को लेकर बात-चीत चल रही थी। अब बहस छिड़ गई कि अगर अगर देर से घर जाते हो तो क्या बहाने बनाते हो? कहते हो? सब अपना-अपना फार्मूला सुझा रहे थे।
फाटक बाबू ने अपनी हक़ीक़त बयान कर दी, “मुझे कुछ कहने की नौबत ही कहां आती है। सब कुछ तो श्रीमतीजी ही कह देती हैं। |
हा हा!! एक चुप हजार चुप!
जवाब देंहटाएंअपना फार्मूला भी तो यही है
जवाब देंहटाएंएक दम सच!!
जवाब देंहटाएंha... ha... ha... ha... !!!!
जवाब देंहटाएंहा हा! हा हा! हा हा! हा हा!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंयही सत्य है। जय हो।
जवाब देंहटाएंसत्य वचन
जवाब देंहटाएंएक शे'र याद आया...
जवाब देंहटाएंकि..
सुबह उसकी शक्ल पे चस्पां थे बीवी के हुनर..
रात घर पर देर से था जो गया पीने के बाद...
हा हा हा हा