किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
“एक अच्छा शीशा लेकर आओ जिसमें मेरा चेहरा दिखाई दे।”
“जी सर।”
“क्या हुआ?”
“मैं सब दुकानों पर देख आया। सब में मेरा चेहरा ही दीख रहा है।”
हा हा हा
हा हा!!
nice
बहुत सुंदर चुटकुला
हा हा हा हा हा हा ...फाटक बाबू.... बहुत इंटेलिजेंट हैं.....
बहुत खूब..बड़ा समझदार नौकर था..मजेदार
मजेदार
हा हा हा हा अब दुकान मे वो कहां से बाँस का चेहरा देखे।
ha...ha...ha...ha... !
hahaha
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
देश भी यही चला रहे हैं....आजकल हर कोई खुश दिखाई दे रहा है दिल्ली सरकार को...
बहुत खूब..
Theek hai bhai....
हा हा हा
जवाब देंहटाएंहा हा!!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चुटकुला
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा ...फाटक बाबू.... बहुत इंटेलिजेंट हैं.....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..बड़ा समझदार नौकर था..मजेदार
जवाब देंहटाएंमजेदार
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा अब दुकान मे वो कहां से बाँस का चेहरा देखे।
जवाब देंहटाएंha...ha...ha...ha... !
जवाब देंहटाएंhahaha
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..बड़ा समझदार नौकर था..मजेदार
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंहा हा हा
हा हा हा
हा हा हा हा हा हा हा हा हा
देश भी यही चला रहे हैं....आजकल हर कोई खुश दिखाई दे रहा है दिल्ली सरकार को...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंTheek hai bhai....
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