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शुक्रवार, 11 जून 2010

एक अच्छा शीशा

एक अच्छा शीशा

बॉस ने फाटक बाबू को आदेश दिया,

“एक अच्छा शीशा लेकर आओ जिसमें मेरा चेहरा दिखाई दे।”

फाटक बाबू बोले,

“जी सर।”

थोड़ी देर बाद फाटक बाबू को खाली हाथ लौटा देख बॉस ने पूछा,

“क्या हुआ?”

फाटक बाबू ने बताया,

“मैं सब दुकानों पर देख आया। सब में मेरा चेहरा ही दीख रहा है।”

15 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा हा हा ...फाटक बाबू.... बहुत इंटेलिजेंट हैं.....

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  2. बहुत खूब..बड़ा समझदार नौकर था..मजेदार

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  3. हा हा हा हा अब दुकान मे वो कहां से बाँस का चेहरा देखे।

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  4. बहुत खूब..बड़ा समझदार नौकर था..मजेदार

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  5. हा हा हा
    हा हा हा
    हा हा हा
    हा हा हा हा हा हा हा हा हा

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  6. देश भी यही चला रहे हैं....आजकल हर कोई खुश दिखाई दे रहा है दिल्ली सरकार को...

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