किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
हा हा
:-)
छोड़ ही देना चाहिये वाह ..
हा हा हा बहुत बढ़िया ।इश्वर को ईश्वर कर दीजिए।
वाह जी वाह !“स्टाफ हैं हम, अबे हमें तो छोड़।”मज़्ज़्ज़ेदार !- राजेन्द्र स्वर्णकार शस्वरं
हा हा!! बहुत सही!
चुनाव के टाइम तो ऐसे ही हाल होते है नेता जी के..मजेदार..
ha...ha...ha...ha.... !!!
हमसे टिप्पणी भेजने को न कहिये। हम तो स्टाफ हैं! हा...हा...हा...।
मजेदार!
छोड़ ही देना चाहिये !
बहुत सही!
Bahut khooba----maja aa gaya padha kar.
हा---हा--नेता और भिखारी---एक ही कम्पनी के स्टाफ़---।
वाह क्या बात है.
बेहतरीन.. लाजवाब....
हा हा
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंछोड़ ही देना चाहिये
जवाब देंहटाएंवाह ..
हा हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
इश्वर को ईश्वर कर दीजिए।
वाह जी वाह !
जवाब देंहटाएं“स्टाफ हैं हम, अबे हमें तो छोड़।”
मज़्ज़्ज़ेदार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
हा हा!! बहुत सही!
जवाब देंहटाएंचुनाव के टाइम तो ऐसे ही हाल होते है नेता जी के..
जवाब देंहटाएंमजेदार..
ha...ha...ha...ha.... !!!
जवाब देंहटाएंहमसे टिप्पणी भेजने को न कहिये। हम तो स्टाफ हैं! हा...हा...हा...।
जवाब देंहटाएंमजेदार!
जवाब देंहटाएंछोड़ ही देना चाहिये !
जवाब देंहटाएंबहुत सही!
जवाब देंहटाएंBahut khooba----maja aa gaya padha kar.
जवाब देंहटाएंहा---हा--नेता और भिखारी---एक ही कम्पनी के स्टाफ़---।
जवाब देंहटाएंहा हा!! बहुत सही!
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
जवाब देंहटाएंलाजवाब....