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मंगलवार, 22 जून 2010

ये तो होना ही था!!

 

एक बार फिर से यह बताना चहती हूं कि इस ब्लॉग पर जो भी प्रस्तुत किया जाता उस पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। आप शौक से उसे चुरा सकते हैं! कहीं से कुछ सुन लिया, कुछ पढ़ लिया, अच्छा लगा तो वह सब आपके साथ बांटना मात्र मेरा उद्देश्य है। सबके जीवन में थोड़ी हंसी, थोड़ी मुस्कान बिखरे! बस यही कामना है! आज से हास्य फुहार के साथ हंसी के बारे में … भी प्रस्तुत करने की मंशा है।


ये तो होना ही था!!

 

हंसी के बारे में …

हास्य फुहार

हंसना शरीर के लिए दवा का काम करता है।

 

इससे स्ट्रेस कम होता है।

शरीर के सारे अंग सुचारू रूप से काम करते हैं।

जो व्यक्ति सकारात्मक नज़रिया रखता है, हमेशा हंसता-मुस्कुराता है उस पर दवाइयां ज़ल्दी असर करती हैं।

 

एक कार को एक ट्रक ने ठोक दिया। मामला पुलिस, थाने तक पहुंचा।

 

इंस्‍पेक्‍टर ने दुर्घटना स्‍थल का मुआयना किया। कार और ट्रक के हालत परखे और अपना निर्णय दिया –

“ट्रक वाले की कोई गलती नहीं है।”

कार वाला परेशान। ट्रक वाला हैरान।

इंस्‍पेक्‍टर ने उनकी हैरानी-परेशानी दूर करने के लिए बताया –

“कार के पीछे क्‍या लिखा है?”

कार वाला बोला, “जी लिखा है सावन को आने दो।”

इंस्पेक्टर ने ट्रकवाले से पूछा, “और ट्रक के पीछे क्या लिखा है?”

ट्रक वाला बोला, “आया सावन झूम के।”

इंस्‍पेक्‍टरबोला, “तो ये जो टक्क्ड़ हुआ – ये तो होना ही था।”

पसंद आए, न-आए,

ठहाके ज़रूर लगाएं

क्यूंकि हंसी ….

….. सेहतमंद बनाए!!

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