एक मामूली से झगड़े के चलते वे छह जने पकड़े गए और शुरुआती कार्रवाई के बाद अदालत में उनकी पेशी हुई। जज साहब ने आरोपी पक्ष के द्वारा प्रस्तुत किया गया पूरा वाक़या सुना, और अभियुक्तों से मुख़ातिब होते हुए बोले, “इतना मामूली झगड़ा तो तुम कोर्ट के बाहर भी निपटा सकते थे।” आरोपी नं4 ने सफ़ाई में कहा, “निपटा तो हम हम कोर्ट के बाहर ही रहे थे कि पुलिस हमें झगड़ा करने के इल्जाम में यहां पकड़ लाई।” |
हा हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंये पुलिस वाले निपटाने भी तो नहीं देते
nice
जवाब देंहटाएंबहुत सही!! पुलिस वालों पर कार्यवाही की जाये. :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंबहुत ना इंसाफ़ी है!
जवाब देंहटाएंये तो हद हो गई।
जवाब देंहटाएंहा हा हा
बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंनिपटा तो हम बाहर ही लेते…………हा हा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंहा-हा,यही सत्य भी है आज का
जवाब देंहटाएंसब बाहरे निपटा लेते तो उन सब का काम कैसे चलता।
जवाब देंहटाएंहास्य के साथ व्यंग्य भी उत्तम है।
mujrim to pakad me aate nahi puliswalo k,ab koi kaam to karna hi hai..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, मजा आ गया।
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रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंफिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
ha...ha...ha... !!!!
जवाब देंहटाएंवाह! क्या ज़बर्दस्ती है- निपटाने पर भी रोक। :)))
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