वाकया खदेरन की शादी के समय का है।
खदेरन की शादी में फाटक बाबू शामिल नहीं हुए थे। तो खदेरन ने उनसे हुई अगली मुलाकात पर अपनी शिकायत दर्ज की – “फाटक बाबू – आप मेरी शादी में नहीं आए।”
फाटक बाबू ने कहा, “- पर तुमने तो मुझे बताया ही नहीं कि तुम्हारी शादी कब हो रही है?”
खदेरन बोला, – “क्या कहते हैं फाटक बाबू। चिट्ठी लिखा तो था।”
फाटक बाबू ने कहा, “पर मुझे तो कोई चिट्ठी मिली ही नहीं।”
खदेरन बो;, “फाटक बाबू। ये भी कोई बात हुई चिट्ठी में मैंने लिखा तो था कि चाहे मेरा पत्र आपको मिले या न मिले, आप मेरी शादी में आना जरूर।”अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
मजेदार लगा ।
जवाब देंहटाएंखदेरन और फाटक जी तो ’लोहा सिंह ’ नाटक के किरदार हैं .क्या ये किताब उपलब्ध हो सकती है ?
हा हा हा हा ………चिट्ठी मिले या न मिले…………
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ……… !!!!
जवाब देंहटाएंलतीफा इतना अच्छा है कि ताऊ का गधा
जवाब देंहटाएंइसको सुनकर अब तक हँस रहा है!
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यकीन न हो तो ताऊ के ब्लॉग पर देख लीजिए!
मज़ेदार!
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