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शनिवार, 26 जून 2010

देर से घर

देर से घर

 

दोस्तों के बीच अपनी-अपनी श्रीमतीजी को लेकर बात-चीत चल रही थी। अब बहस छिड़ गई कि अगर अगर देर से घर जाते हो तो क्या बहाने बनाते हो? कहते हो? सब अपना-अपना फार्मूला सुझा रहे थे।

 

फाटक बाबू ने अपनी हक़ीक़त बयान कर दी, “मुझे कुछ कहने की नौबत ही कहां आती है। सब कुछ तो श्रीमतीजी ही कह देती हैं।

9 टिप्‍पणियां:

  1. अपना फार्मूला भी तो यही है

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  2. एक शे'र याद आया...


    कि..


    सुबह उसकी शक्ल पे चस्पां थे बीवी के हुनर..
    रात घर पर देर से था जो गया पीने के बाद...

    हा हा हा हा

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