खदेरन एक दिन भोरे-भोर देखता है कि फाटक बाबू अपने लॉन में टहल रहे हैं और उनके साथ एकठो कुत्ता भी टहल रहा है। उसको बड़ा आश्चर्य हुआ। अपने घर के बरामदा से ही खदेरन अपनी उत्सुकता शांत करने के लिए पूछा, “फाटक बाबू! कुत्ता खरीद लाए हैं का?”
फाटक बाबू बोले, “हां भाई खदेरन। का करें खंजन देवी पीछे पड़ गई थीं, कि कुक्कुर चाहिए … तो लाना पड़ा।”
खदेरन बोला, “बढिया किए। कब लाए?”
फाटक बाबू बोले, “रात में ही खरीद कर लाए हैं।”
खदेरन कुत्ता को कूं-कूं करते देखकर पूछा, “फाटक बाबू, आपका ई कुता काटता है..??”
फाटक बाबू बोले, “एक काम करो खदेरन, चले आओ हम भी यही देखना चाहते हैं……!”
एक्सपेरिमेंट के लिए पड़ोसी काम नहीं आएँगे तो कौन आएगा! :)) बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंbadiya....
जवाब देंहटाएंहा हा।
जवाब देंहटाएं:):) बढ़िया है ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया !:)
जवाब देंहटाएंसही है..टेस्टिंग हो जायेगी.
जवाब देंहटाएंहैलो!! हैलो!!! डॉग टेस्टिंग!!
जवाब देंहटाएंशांतता, टेस्टिंग चालु आहे!!
हा....हा....बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंअच्छा है !
जवाब देंहटाएं-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बहुत अच्छा लगा।
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