सुबह-सुबह खदेरन को जगा देख फाटक बाबू ने पूछ ही लिया, “क्या खदेरन आज एकदम भोरे-भोर उठ गए?”
“हां, आज बहुत दिनों के बाद अलार्म घड़ी से मेरी आंख खुली।” खदेरन ने बताया।
फाटक बाबू को समझ में नहीं आया तो पूछे, “वो कैसे?”
खदेरन ने राज खोला, “फुलमतिया जी ने उसे मेरे सिर पर फेंक मारा ना!”
ha ha ha ha ......
जवाब देंहटाएंबहुत तगड़े ढंग से उठाया।
जवाब देंहटाएंउठ गया खदेरन... घड़ी की हालत तो देखो ....!
जवाब देंहटाएंखदेरन!ज्यादा चोट तो नहीं लगी न :)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha bahut hi majedr padhate hi hansi aa gai
जवाब देंहटाएंक्या बात है।
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आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
hahahahah ......nice
जवाब देंहटाएंहे भगवान!!
जवाब देंहटाएंफुलमतिया जी प्रेम से फूल(दान) भी तो मारती हैं. अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंशाबास फुलमतिया!! जिओ!!
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