एक दिन खदेरन के घर में चोर घुसा, पर फुलमतिया जी के हाथों बुरी तरह पिट गया।
हो-हल्ला सुन फाटक बाबू भी पहुंच गए। फुलमतिया जी की बहादुरी से प्रसन्न हो उन्होंने कहा, “फुलमतिया जी आप तो बहुत बहादुर हैं! आपने चोर को बहुत मारा!!”
फुलमतिया जी ने पहले तो आश्चर्य से फाटक बबू को देखा फिर उन्हें एक किनारे ले जाकर बोलीं, “दरअसल फाटाक बाबू, मुझे तो पता भी नहीं था कि वह चोर है!…. हां …. मैं तो समझी कि खदेरन देर से घर आया है ….. और …. म्म… रेस्ट इज़ हिस्ट्री…!”
फाटक बाबू बोले, “इसे मिस्ट्री ही रहने दीजिए…!”
बेचारा चोर खदेरन के भ्रम मे पिट गया
जवाब देंहटाएंहा हा हा बढिया।
जवाब देंहटाएंबेचारा खदेरन ..!
जवाब देंहटाएंइसे मिस्ट्री रहने दिया जाये।
जवाब देंहटाएंमिस्ट्री ही रहे तो ठीक ...:):)
जवाब देंहटाएंखदेरन बच गया बेचारा .......ही ही ही हा हा हा .........
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढि़या ...।
जवाब देंहटाएंहा हा हा…………बेचारा खदेरन्।
जवाब देंहटाएंपिटाई से तो खदेरन बच गया पर अब फाटक बाबु के तानो से कैसे बचेगा |ha ha ha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंबेचारा चोर!
जवाब देंहटाएंखदेरन तेरी खैर नहीं।
मज़ेदार।
हा-हा-हा....
BHAIYA KHADEDAN KO TO BINA PITE APNE PITWA DIYA APNE KAHANI ME.
जवाब देंहटाएंबेचारा खदेरन..:) ये अच्छी बात नहीं है आप हमेशा उसे पिटवा देती हैं :)
जवाब देंहटाएंbahut sundar post badhai
जवाब देंहटाएंफाटक बाबू पर गोपनीयता कानून लागू कर देना चाहिए. :))
जवाब देंहटाएंchalo chor to ab nahin hi aayega
जवाब देंहटाएंबेचारा!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंअल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान!
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