एक दिन बालकनी में बैठ कर खदेरन कुछ लिख रहा था। फाटक बाबू ने पूछा,”खदेरन, क्या कर रहे हो?”
खदेरन ने बताया,”लेटर लिख रहा हूं।”
“किसे”
“फुलमतिया जी को।”
“क्यॊं कहीं गईं हैं क्या? कल ही तो देखा था।”
“वो बाज़ार गई हैं। कुछ सामान लाने। कुछ याद आया तो सोचा बता दूं, उसे भी लेती आएंगी।”
“तो फोन कर लो ना, लेटर क्यों?”
“फुलमतिया जी को फोन ही तो किया था पहले। पर फोन से आवाज़ आई कि ‘प्लीज़ ट्राई लेटर।’ इसलिए मैं फुलमतिया जी को लेटर लिख रहा हूं।”
ha ha ha...
जवाब देंहटाएंbahut jldi yaad kar liya...
kunwar ji,
nice
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
hahaha
जवाब देंहटाएंha ha !
जवाब देंहटाएंhaa haa
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार
फूलमतिया जी का पता का लिखेंगे हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंha... ha... ha... ha.... try later..... ha... ha... ha... ha... ha... ! aaj to hansee ruk hee nahee rahee hai !
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ...................मजेदार ..
जवाब देंहटाएंबेचारा खदेरन्…………सही तो कर रहा है।
जवाब देंहटाएंha ha ha
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा, वाह वाह।
जवाब देंहटाएंहा हा!! गज़ब दिमाग है खदेरन का.
जवाब देंहटाएंटिप्पणी अभी करूँ कि लेटर??????????????
जवाब देंहटाएंभाषा..अंतर बहोत है बढियाँ है
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