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शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

खदेरन का लेटर

एक दिन बालकनी में बैठ कर खदेरन कुछ लिख रहा था। फाटक बाबू ने पूछा,”खदेरन, क्या कर रहे हो?”

खदेरन ने बताया,”लेटर लिख रहा हूं।”

“किसे”

“फुलमतिया जी को।”

“क्यॊं कहीं गईं हैं क्या? कल ही तो देखा था।”

“वो बाज़ार गई हैं। कुछ सामान लाने। कुछ याद आया तो सोचा बता दूं, उसे भी लेती आएंगी।”

“तो फोन कर लो ना, लेटर क्यों?”

“फुलमतिया जी को फोन ही तो किया था पहले। पर फोन से आवाज़ आई कि ‘प्लीज़ ट्राई लेटर।’ इसलिए मैं फुलमतिया जी को लेटर लिख रहा हूं।”

15 टिप्‍पणियां:

  1. फूलमतिया जी का पता का लिखेंगे हा हा हा हा

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  2. ha... ha... ha... ha.... try later..... ha... ha... ha... ha... ha... ! aaj to hansee ruk hee nahee rahee hai !

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  3. बेचारा खदेरन्…………सही तो कर रहा है।

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  4. हा हा!! गज़ब दिमाग है खदेरन का.

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  5. भाषा..अंतर बहोत है बढियाँ है

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