सच और झूंठ का निर्णय कौन करे ,चेतावन या भगावन.अब जैसे आप यही बात कहें जो चेतावन ने कही और हम कहें झूंठ क्योंकि आपने हमारे ब्लॉग पर आकर कोई हास्य फुहार छोड़ी ही नहीं ,मन से प्रार्थना के बाबजूद.
सच्चे मन से प्रार्थना नहीं की होगी। अगर की होगी तो भगवान ने सुनी नहीं होगी। अगर सुनी होगी तो उसके पास तबादले का समय नहीं होगा। अगर भगवान ने चाहा भी होगा तो इस टीचर ने तगड़ा जुगाड़ फिट कराके खुद को यहां बना रखा होगा। उसे हटाने की ताकत भगवान के पास भी नहीं।
सच और झूंठ का निर्णय कौन करे ,चेतावन या भगावन.अब जैसे आप यही बात कहें जो चेतावन ने कही और हम कहें झूंठ क्योंकि आपने हमारे ब्लॉग पर आकर कोई हास्य फुहार छोड़ी ही नहीं ,मन से प्रार्थना के बाबजूद.
जवाब देंहटाएंha ha ha ;;;
जवाब देंहटाएंise kahate hai sir mudate hee olo ka girna.
मेरा करवा दो तबादला ...
जवाब देंहटाएंसच्चे मन से प्रार्थना नहीं की होगी। अगर की होगी तो भगवान ने सुनी नहीं होगी। अगर सुनी होगी तो उसके पास तबादले का समय नहीं होगा। अगर भगवान ने चाहा भी होगा तो इस टीचर ने तगड़ा जुगाड़ फिट कराके खुद को यहां बना रखा होगा। उसे हटाने की ताकत भगवान के पास भी नहीं।
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