खदेरन जल्दी में था।
फुलमतिया जी के आदेश का पालन करते हुए, जल्दी से पनीर लाना था।
उसने ऑटो रिक्शा पकड़ा और उसे जल्द से जल्द पनीर की दूकान चलने को बोला।
दूकान के सामने ऑटो रोककर ऑटोवाला बोला, “सॉरी सर! जल्दबाज़ी में मीटर ऑन करना ही भूल गया।”
खदेरन ने अपनी जेबें टटोली और बोला, “कोई बात नहीं यार! मैं भी जल्दबाज़ी में पर्स लाना भूल गया। चल वापस जहां से आए थे। वहां चल कर तू मीटर ऑन कर लेना, मैं पैसे ले लूंगा।”
तू मीटर ऑन कर लेना, मैं पैसे ले लूंगा।”
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मजेदार हा हा हा ....
खदेरन और ऑटो वाले की भूल में आप मेरे ब्लॉग को क्यूँ भूले बैठी है.
जवाब देंहटाएंजाईये अब नहीं बोलते आपसे.
मन करे तो आइयेगा मेरे ब्लॉग पर,रामजन्म का बुलावा है.
बहुत मजेदार हा हा हा .............
जवाब देंहटाएंवाह वाह।
जवाब देंहटाएंजैसा को तैसा
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
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जवाब देंहटाएंहिसाब बराबर!!
जवाब देंहटाएंपहली बार में टिप्पणी भूल गया था, फिर वापस आया हूँ टिप्पणी करने...सुन्दर!
जवाब देंहटाएंwah wah...
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