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बुधवार, 13 अप्रैल 2011

हमेशा गुस्से में

आखिर फाटक बाबू ने खदेरन से पूछ ही दिया, “खदेरन, तुम्हारी बीवी, फुलमतिया जी, हमेशा इतना गुस्सा में ही क्यों रहती है?”

खदेरन ने आंहें भरते हुए कहा, “क्या बताऊं फाटक बाबू, तब मेरी नई-नई शादी हुई थी। मैंने ग़लती से फुलमतिया जी को बोला था कि गुस्से में भी आप कितनी खूबसूरत लगती हैं … बस .. तब से वो खूबसरती दिखाने का कोई मौक़ा नहीं चूकतीं।”

7 टिप्‍पणियां:

  1. हास्य लिखना मुश्किल काम है वह भी कम शब्दों में और मुश्किल फिर भी कम शब्दों में आप इसे कर दिखाती हैं ये आपकी लेखनी और हुनर का कमाल है |बधाई और शुभकामनाएं |

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  2. तब तो फुलमतिया जी बिल्कुल सही हैं।

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  3. यह वाक्‍य शायद प्रत्‍येक पति बोल देते हैं। हा हा हा हा।

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  4. बहुत बढ़िया मजेदार हा हा हा ....

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