आखिर फाटक बाबू ने खदेरन से पूछ ही दिया, “खदेरन, तुम्हारी बीवी, फुलमतिया जी, हमेशा इतना गुस्सा में ही क्यों रहती है?”
खदेरन ने आंहें भरते हुए कहा, “क्या बताऊं फाटक बाबू, तब मेरी नई-नई शादी हुई थी। मैंने ग़लती से फुलमतिया जी को बोला था कि गुस्से में भी आप कितनी खूबसूरत लगती हैं … बस .. तब से वो खूबसरती दिखाने का कोई मौक़ा नहीं चूकतीं।”
हास्य लिखना मुश्किल काम है वह भी कम शब्दों में और मुश्किल फिर भी कम शब्दों में आप इसे कर दिखाती हैं ये आपकी लेखनी और हुनर का कमाल है |बधाई और शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंbahut khoob .......
जवाब देंहटाएं:)
:)
:)
क्या ऐसा कुछ हमने भी बोला था?
जवाब देंहटाएंतब तो फुलमतिया जी बिल्कुल सही हैं।
जवाब देंहटाएंयह वाक्य शायद प्रत्येक पति बोल देते हैं। हा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंहा हा ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मजेदार हा हा हा ....
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