किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
फुलमतिया कोई किताब पढ रही थीं। पढते-पढते कुछ हाथ लगा। चहकते हुए बोलीं, “देखो इस किताब में लिखा है कि स्वर्ग में पति-पत्नी को अलग-अलग रखा जाता है।”
खदेरन ने निर्विकार भाव से कहा,“इसलिए तो उसे स्वर्ग कहा जाता है!”
bahut badiya...ha ha ha
हा हा हा………
हा हामेरा ब्लॉग भी देखें भले को भला कहना भी पाप
हा हा ...लेकिन यहाँ अलग अलग रहते ऐसी अनुभूति नहीं होती ..( बहुत लोग अलग भी हो जाते हैं )
हा हा…
MAJEDAAR HAI BADHIYA
सच बात है।
मज़ेदार!हा-हा-हा ...
स्वर्गीय होकर स्वर्गीय आनंद उठाने की कुंजी!!
हाहा.. सही!!आभारतीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
bahut der baad aan huyaa....lekin jab bhi aayee hoon hanse bina nahi rah saki!aap kmal ka likhti hain!
bahut badiya...
जवाब देंहटाएंha ha ha
हा हा हा………
जवाब देंहटाएंहा हा
जवाब देंहटाएंमेरा ब्लॉग भी देखें
भले को भला कहना भी पाप
हा हा ...लेकिन यहाँ अलग अलग रहते ऐसी अनुभूति नहीं होती ..( बहुत लोग अलग भी हो जाते हैं )
जवाब देंहटाएंहा हा…
जवाब देंहटाएंMAJEDAAR HAI BADHIYA
जवाब देंहटाएंसच बात है।
जवाब देंहटाएंहा हा…
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ...
स्वर्गीय होकर स्वर्गीय आनंद उठाने की कुंजी!!
जवाब देंहटाएंहाहा.. सही!!
जवाब देंहटाएंआभार
तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
bahut der baad aan huyaa....lekin jab bhi aayee hoon hanse bina nahi rah saki!
जवाब देंहटाएंaap kmal ka likhti hain!