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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

स्वर्ग

फुलमतिया कोई किताब पढ रही थीं। पढते-पढते कुछ हाथ लगा। चहकते हुए बोलीं, “देखो इस किताब में लिखा है कि स्वर्ग में पति-पत्नी को अलग-अलग रखा जाता है।”

खदेरन ने निर्विकार भाव से कहा,“इसलिए तो उसे स्वर्ग कहा जाता है!”

12 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा ...लेकिन यहाँ अलग अलग रहते ऐसी अनुभूति नहीं होती ..( बहुत लोग अलग भी हो जाते हैं )

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  2. स्वर्गीय होकर स्वर्गीय आनंद उठाने की कुंजी!!

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  3. हाहा.. सही!!

    आभार
    तीन साल ब्लॉगिंग के पर आपके विचारों का इंतज़ार है...

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  4. bahut der baad aan huyaa....lekin jab bhi aayee hoon hanse bina nahi rah saki!
    aap kmal ka likhti hain!

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