किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
मेरा शीर्षक है ::
सागर पर पुल बनबाया
लंका को फ़तह कराया
क्या था वह ठट्टा हस्सी
अब मुझको चखने दे लस्सी!!
hai allah yeh kyaa ho rhaa he . akhtar khan akela kota rajsthan
aadmi jaanbar ho raha jaanbar insaan ho raha hai yahi kalyug hai.....jai baba banaras.......
वक्त वक्त की बात है।
ध्यान से पीना ये लस्सी ही है ना ...
मज़ेदार है।हा-हा-हा ...
हा-हा-हा ...
मेरा भी हक बनता है।
आवश्यकता आविष्कार की जननी है
लस्सी तो अब हो चुकी है बस्सी (बासी)आपने मेरे ब्लॉग पर आ क्यूँ नहीं की हँस्सी.मन में आपके क्यूँ है रस्सा कस्सी आपके इंतजार में आँखे गयी धस्सी नवसंवत्सर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
मज़ेदार है।
गर्मी का मौसम आ गया है। लस्सी तो भाएगी ही ना। आप बहुत दिनों बाद नजर आई हैं???मेरा ब्लॉग भी देखें अब पढ़ें, महिलाओं ने पुरुषों के बारे में क्या कहा?
hai allah yeh kyaa ho rhaa he . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंaadmi jaanbar ho raha
जवाब देंहटाएंjaanbar insaan ho raha hai
yahi kalyug hai.....
jai baba banaras.......
वक्त वक्त की बात है।
जवाब देंहटाएंध्यान से पीना ये लस्सी ही है ना ...
जवाब देंहटाएंमज़ेदार है।
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ...
हा-हा-हा ...
जवाब देंहटाएंमेरा भी हक बनता है।
जवाब देंहटाएंआवश्यकता आविष्कार की जननी है
जवाब देंहटाएंलस्सी तो अब हो चुकी है बस्सी (बासी)
जवाब देंहटाएंआपने मेरे ब्लॉग पर आ क्यूँ नहीं की हँस्सी.
मन में आपके क्यूँ है रस्सा कस्सी
आपके इंतजार में आँखे गयी धस्सी
नवसंवत्सर पर हार्दिक शुभ कामनाएँ.
मज़ेदार है।
जवाब देंहटाएंगर्मी का मौसम आ गया है। लस्सी तो भाएगी ही ना।
जवाब देंहटाएंआप बहुत दिनों बाद नजर आई हैं???
मेरा ब्लॉग भी देखें
अब पढ़ें, महिलाओं ने पुरुषों के बारे में क्या कहा?