खदेरन फूलमतिया को रात देखे गए सपने की बात बता रहा था, "फुलमतिया जी! आपको पता है, रात हमरे सपने में भगवान आये थे!"
फुलमतिया जी ने कहा, "आ रे जा रे दाढ़ीजार ! अभी तक रात की उतरी नहीं है!! जिसके सपने में शैतान न आये उसके सपने में भला भगवान आते हैं...?"
खदेरन ने कहा, "हाँ सच्ची-सच्ची !"
फुलमतिया जी ने पूछा, "अच्छा तो क्या कहा भगवान ने ?"
खदेरन ने बताया, "भगवान बहुत प्रसन्न थे. बोले, "बेटा खदेरन ! चलो फटाफट एक मन्नत मांग लो!"
फुलमतिया, "तो तुमने क्या माँगा ?"
खदेरन बोला, "हम बोले भगवानजी ! अगर आप इतना ही प्रसन्न हैं तो मुझे शादी से पहले के दिन लौटा दीजिये!"
फुलमतिया, "मार मुँहझौंसा ! कौनो अच्छा चीज मांगते! खैर ई बाताओ कि फिर का हुआ ?"
खदेरन ने बताया, " होगा का... ! भगवानो को हंसी आ गयी. बोले बेटा खदेरन ! मैंने तुम्हे 'मन्नत' मांगने को कहा था 'जन्नत' नहीं."
मन्नत व जन्नत में अन्तर है।
जवाब देंहटाएंकुछ कार्य तो भगवान् के लिए भी असंभव है :)
जवाब देंहटाएंसपने में भी तथास्तु नसीब नहीं.
जवाब देंहटाएंCongrats on INDIAS CRICKET WORLD CUP VICTORY
जवाब देंहटाएंमन्नत और जन्नत का अंतर समझ में आ गया. वर्ल्ड कप जीतने पर आपको बधाईयां
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..जन्नत तो भगवान के नसीब में भी नहीं ..कौन से भगवान आये थे ? हनुमान जी आते तो शायद तथास्तु कह देते :):)
जवाब देंहटाएंhahahahaha
जवाब देंहटाएंमार मुँहझौंसा....हा हा!! जन्नत मांगता है बेवकूफ!!!!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..
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