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रविवार, 3 अप्रैल 2011

खदेरन का सपना

खदेरन फूलमतिया को रात देखे गए सपने की बात बता रहा था, "फुलमतिया जी! आपको पता है, रात हमरे सपने में भगवान आये थे!"

फुलमतिया जी ने कहा, "आ रे जा रे दाढ़ीजार ! अभी तक रात की उतरी नहीं है!! जिसके सपने में शैतान न आये उसके सपने में भला भगवान आते हैं...?"

खदेरन ने कहा, "हाँ सच्ची-सच्ची !"

फुलमतिया जी ने पूछा, "अच्छा तो क्या कहा भगवान ने ?"

खदेरन ने बताया, "भगवान बहुत प्रसन्न थे. बोले, "बेटा खदेरन ! चलो फटाफट एक मन्नत मांग लो!"

फुलमतिया, "तो तुमने क्या माँगा ?"

खदेरन बोला, "हम बोले भगवानजी ! अगर आप इतना ही प्रसन्न हैं तो मुझे शादी से पहले के दिन लौटा दीजिये!"

फुलमतिया, "मार मुँहझौंसा ! कौनो अच्छा चीज मांगते! खैर ई बाताओ कि फिर का हुआ ?"

खदेरन ने बताया, " होगा का... ! भगवानो को हंसी आ गयी. बोले बेटा खदेरन ! मैंने तुम्हे 'मन्नत' मांगने को कहा था 'जन्नत' नहीं."

9 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ कार्य तो भगवान् के लिए भी असंभव है :)

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  2. सपने में भी तथास्‍तु नसीब नहीं.

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  3. मन्नत और जन्नत का अंतर समझ में आ गया. वर्ल्ड कप जीतने पर आपको बधाईयां

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  4. हा हा हा ..जन्नत तो भगवान के नसीब में भी नहीं ..कौन से भगवान आये थे ? हनुमान जी आते तो शायद तथास्तु कह देते :):)

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  5. मार मुँहझौंसा....हा हा!! जन्नत मांगता है बेवकूफ!!!!!

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