एक दिन सज-धज कर खदेरन घर से निकला।
फाटक बाबू की नज़र उस पर पड़ी। उन्होंने पूछ दिया, “बड़े सुबह सवेरे किस तरफ़ चले?”
खदेरन ने बताया, ‘फुलमतिया जी का जन्म दिन है। उनके लिए कोई गिफ़्ट खरीदने जा रहा हूं।”
फाटक बाबू ने प्रसन्न हो कहा, ‘वाह! बहुत अच्छी बात है! क्या लाने जा रहे हो?”
खदेरन ने जवाब दिया, “सोचता हूं हीरों के नेकलेस जैसा कोई हार ले आऊं!”
फाटक बाबू ने कहा, “आइडिया तो बुरा नहीं है। पर, खदेरन इन सब की उपयोगिता आज कल कोई खास नहीं है। उस पर से चोरी-चकारी का डर भी लगा ही रहता है। तुम फुलमतिया जी को हीरों का हार देने के बजाय कोई कार क्यों नहीं गिफ़्ट कर देते?”
खदेरन ने अपनी परेशानी बताई, “फाटक बाबू! ऐसी कार कहां से लेकर आऊं जो हो तो नकली पर दिखने में बिलकुल असली जैसी लगे!”
ह ह ह ह !!
जवाब देंहटाएंबड़ा मुश्किल है।
जवाब देंहटाएंइसे कहते हैं महंगाई में गुजारा करना
जवाब देंहटाएंमेरी नयी पोस्ट
मिलिए हमारी गली के गधे से
बहुत सुन्दर मज़ेदार|
जवाब देंहटाएंवाट एन आइडिया सर जी!!!
जवाब देंहटाएंगुड वन
जवाब देंहटाएंऐसी कार भी मिल जायेगी... बस धक्का मारने के लिये जुगाड करना पडेगा.