“तो यह मान लूं कि अब हमारे बीच कुछ नहीं रहा।”
“हां।”
“उफ़! मैं तुम्हें भुला नहीं सकता!!”
“यह तुम्हारा प्रोबलम है।”
“तुम मेरे सारे लव लेटर वापस कर दो!”
“ये टोकड़ी सामने पड़ी है। इसमें से जो तुम्हारे हों निकाल लो।”
“तुम्हें जो मैंने हीरे की अंगूठी पहनाई थी, वह दे दो। उसे देखे कर तुम्हें याद किया करूंगा।”
“तुम यह सोच कर मुझे याद करना कि मुझसे तुमने रिंग मांगी थी, लेकिन मैंने नहीं दी।”
सच में, कुछ तो रहे याद करने के लिये।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा...
तुम डाल- डाल हम पात -पात !
जवाब देंहटाएंha ha ha ...
जवाब देंहटाएंयह घटना ज्यादा लम्बे समय तक यद दिलाती रहेगी. :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा बिल्कुल वाजिब रीजन है भाई यद रखने का
जवाब देंहटाएंufffffffffffff:)
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
जवाब देंहटाएंक्या ये फुलमतिया जी के शब्द हैं?
न भी हो तब भी मज़ेदार हैं ... याद रखने के लिए।
फिर तो तुम ज्यादा याद आओगी.
जवाब देंहटाएंचाहत की कीमत
तर्क और तकरार
फिर तो ज्यादा याद आओगी
जवाब देंहटाएंइस बात पर एक बहुत सीरियस लघुकथा याद आ गई .. फिर कभी!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया।
जवाब देंहटाएं............
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लिंग से पत्थर उठाने का हठयोग।