फाटक बाबू और खदेरन एक संत का व्याख्यान सुन कर घर लौट रहे थे। रास्ते में उस सभा में दिए गए आख्यान और उपदेश, जो उनके दिमाग पर अब भी छाया हुआ था, की चर्चा भी वे आपसे में करते जा रहे थे। संत महोदय ने मनुष्य के कर्म और अगले जन्म से संबंधित विषय पर बहुत ही रोचक बातें बताई थी।
फाटक बाबू ने खदेरन से पूछ दिया, “खदेरन! तुम अगले जन्म में क्या बनना पसन्द करोगे?”
खदेरन ने जवाब दिया, “फाटक बाबू! मैं तो कौकरॉच बनना चाहूंगा।”
फाटक बाबू को खदेरन के जवाब से आश्चर्य हुआ। उन्होंने पूछा, “क्यों?”
खदेरन ने बताया, “फाटक बाबू, मेरी पत्नी फुलमतिया जी सिर्फ़ कौकरॉच से ही डरती है!”
ha ha ha ha haa
जवाब देंहटाएं:))
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा ।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा .....
क्या बात है.. फाटक बाबू और खदेरन ...हा हा हा
जवाब देंहटाएंहा हा हा ………सही तो कह रहा है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया संगीतकार तिलचट्टा ....
जवाब देंहटाएंsahi kaha
जवाब देंहटाएंमज़ेदार|
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ...सब की अपनी समस्या है !
जवाब देंहटाएंआपको किससे डर लगता है ?? :-)
हा हा ...बढ़िया है
जवाब देंहटाएंतब तो उनके लिए बुरी खबर ये है कि तिलचट्टे के रूप में जन्म लेने के लिए बहुत सारे एप्लीकेशन पन्डिंग हैं!!
जवाब देंहटाएं