‘वह’ बेचारा!
बेचारा ही तो था।
कल रात घर आ रहा था।
गटर में गिर गया।
किसी ने उसकी मदद की। मदद करने वाले ने उससे पूछा, ‘तुम इसमें कैसे गिरे?”
‘उसने’ बताया, ‘‘सब ग़लत संगति का असर है!”
मदद करने वाले के चेहरे पर मुस्कान तैर गई।
‘उसने’ देख लिए उस कुटिल मुस्कान को। बोला, “आप ग़लत समझ रहे हैं।”
मदद करने वाले ने प्रश्न किया, “मतलब?”
‘उसने’ बताया, “जो आप समझ रहे हैं वह बात नहीं है। बात ये है कि हम चार जने थे। अब देखिए ग़लत संगति का असर क्या होता है? हम चार दोस्तों में बोतल तो एक ही थी, पर वे तीनों एक दल के थे कमबख़्त! नहीं पीने वाले!!”
‘वह’ बेचारा!!!
:)
जवाब देंहटाएंha ha ha... Sahi hai..............
जवाब देंहटाएंwah .....
जवाब देंहटाएं:)
बताईये।
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंफिर तो गिरना ही थी .....
हा-हा-हा ....
चलो दिल्ली दोस्तों अब वक्त अग्या हे कुछ करने का भारत के लिए अपनी मात्र भूमि के लिए दोस्तों 4 जून से बाबा रामदेव दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ रहे हें हम सभी को उनका साथ देना चाहिए में तो 4 जून को दिल्ली जा रहा हु आप भी उनका साथ दें अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को देखें
जवाब देंहटाएंhttp://www.bharatyogi.net/2011/04/4-2011.html
हा हा
जवाब देंहटाएंसंगत का असर तो होना ही था.
संगत का असर तो होना ही था.
जवाब देंहटाएंभला हुआ यहाँ आया. अच्छा रहा. बहुत दिनों के बाद हँसा हूँ.
जवाब देंहटाएंठोकर खा बुढिया गिरी, उठा ना उससे जाए
जवाब देंहटाएंपडी पडी वह सड़क पर हाय हाय चिल्लाय।
हाय हाय चिल्लाय तभी एक लड़का आया
सहज भाव से हाथ पकड़ कर उसे उठाया।
बुढिया बोली बेटा जैसे तूने आज उठाया मुझको,
उसी तरह भगवान उठाए जल्दी तुझको।
हाहाहाहाहहा
मज़ेदार हा-हा-हा
जवाब देंहटाएंसंगत का असर! मज़ेदार|
जवाब देंहटाएंएक दम-सही सच्चे शराबी वाली बात कही है लेकिन वो तीनों मेरे जैसे रहे होंगे,
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