चार सौवां हास्यफुहार!!
बात आज से सौ साल बाद की है।
स्कूल के सिलेबस में गब्बर सिंह की पढ़ाई होने लगी।
कक्षा के शिक्षक ने बात को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए कहाना शुरु किया … “आज हम चर्चा करेंगे महान आत्मा महाशय गब्बर सिंह के जन्म की। जब वे इस दुनियां में पधारे अर्थात जब उनका जन्म हुआ तो वे रो नही रहे थे, हंस रहे थे … ऐसे हे हे हे हे ….”
सारा क्लास ‘हे-हे-हे-हे’ कर हंसने लगा!
शिक्षक आगे बोला, “फिर गब्बर सिंह के मुंह से कुछ शब्द निकले। इसे सुनते ही उनकी माता जी ने उन्हें ज़ोर से थप्पड़ मारा ….”
क्लास में सन्नाटा!
शिक्षक का प्रश्न, ‘‘कोई बता सकता है मां ने थप्पड़ क्यों मारा?”
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तो शिक्षक ने बताया, “गब्बर सिंह ने जन्म लेते ही मां से पूछा था ‘कितने आदमी थे?’”
:)
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंचोथी सेंचुरी के लिए बधाई
जवाब देंहटाएं:))))))
जवाब देंहटाएंचार सौ पोस्ट होने पर आपको बहुत बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंसादर
:-) :-) :-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा इसे कहते है पुत के पांव पलने में
जवाब देंहटाएंचार सौवी पोस्ट के लिए बधाई |
बहुत अच्छा व्यंग्य
जवाब देंहटाएं‘कितने आदमी थे?’”
जवाब देंहटाएंचार सौवी पोस्ट के लिए बधाई |
धन्यवाद जी, मैं ब्लॉग जगत में नया हूँ तो मेरा मार्गदर्सन करे..
चार सौवी पोस्ट के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंचार सौ!! ओ मई गौड!!! ये तो अपने आप में शोले का रिकार्ड हो गया!!
जवाब देंहटाएंबाप रे।
जवाब देंहटाएंहा हा हा .....
जवाब देंहटाएं४०० वीं पोस्ट की बधाई
हाहाहहाहाह.. बढिया है
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