शोले का रिमेक बनाया जा रहा है। उसके निर्देशक जॉनी लीवर हैं।
अभी मुहूरत की शूटिंग है।
गब्बर बने हैं राजपाल यादव।
ठाकुर का रोल मिला है नाना पाटेकर को।
डायरेक्टर (जॉनी) ने राजपाल को समझाया। बहुत बार समझाने से उसे समझ में आया।
राजपाल बोला ‘‘सब सम… समझ गया।”
नाना को समझाया। नाना बोला, “मुझे मत समझा। इस ठिंगू को ही समझा। मैं सब जानता हूं। तू अपने काम से मतलब रख।”
जॉनी ने ‘लाइट, कैमरा, एक्शन कहा … फ़िल्म रॉल हुई और शूटिंग शुरु।
कई बार के रिटेक पर राजपाल इतना बोल पाया …
गब्बर (राजपाल)—“ये हाथ मुझे दे-दे ठाकुर!”
(पहले से ही झुंझलाए नाना) ठाकुर : ले-ले, मेरे भी ले-ले, कालिया के भी ले-ले, बासन्ती के भी ले-ले, जी न भरे तो जय और वीरू के भी ले-ले, एक से तो काम चलेगा नहीं तेरा दस-दस ले-ले और बन जा दस हाथों वाला राक्षस।
वाह।
जवाब देंहटाएं:))))))
जवाब देंहटाएं:):)
जवाब देंहटाएंशानदार.. नाना लाजवाब हैं...
जवाब देंहटाएंh h h h
जवाब देंहटाएंवाह जवाब नही।
जवाब देंहटाएंहाहहाहाहाहाह... क्या बात है।
जवाब देंहटाएंवाह! जवाब नही।
जवाब देंहटाएंdear i m a regular visitor of ur blog. But today ifelt vry embaress to see ur new post in which u have pointing sum comment on "maa durga". it is my advise Plz.let delet d use of "maa durga". It makes me hurt very deeply.
जवाब देंहटाएंwid regards-: your's
anshu juari/ anshujuari@gmail.com
@ anshubhai
जवाब देंहटाएंइस तरह के हास्य को हास्य ही लेना चाहिए। इसमें किसी की भावना आहत करने का न प्रयास है न उद्देश्य।
हम कई बार लोगों की भावना या रूप के लिए कहते हैं .. जैसे क्रोध को बताने के लिए कि आज तो चंडी का रूप धारण कर लिया, या सेवा भाव या श्म्कट मोचक के लिए तुम तो आज हनुमान बन गए हो, या इस तरह के अन्य प्रयोग हम करते हैं।
फिर भी आपकी भावना का ख़्याल कर परिवर्तम कर दिया गया है।