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मंगलवार, 25 मई 2010

सब्र करो, धीरज धरो

 

सब्र करो, धीरज धरो

आराम के दो पलबस की ज़ोर दार एक्सीडेंट हो गई।

एक आदमी रोते हुए बोल रहा था – “हे भगवान ….. मेरा हाथ टूट गया है।”

पास खड़ा आदमी बोला --- “सब्र करो, धीरज धरो – उस आदमी को देखो, वो मर चुका है, फिर भी चुपचाप है।”

13 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा!! सब्र की इंतहा हो गई.

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  2. लोग इतना परेशान क्यों होते हैं....धीरज धरना ही चाहिए....हीहीहीहीहीहीहीही

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  3. एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण दिया जी धीरज धरने का.....

    हंस रहे है सब,,,

    कुछ सीखो.......

    कुंवर जी,

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  4. वाकई सबक लेने वाली बात है
    हा हा

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  5. हमसे धीरज नहीं धरते बन रहा हँसी पर……
    :)
    :)))))))))

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  6. गज़ब ..शानदार ....हंसी आ गयी हा हा हा हे हे हे ही ही ही .....आ रही है ..कब रुकेगी ...शायद तभी जब ....दुसरे वाले ki रुकी थी जो चुपचाप है :)

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