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मंगलवार, 15 जून 2010

ब्यूटी-ब्यूटी

ब्यूटी-ब्यूटी

फाटक बाबू काफी परेशान थे। इधर से उधर घूम रहे थे। मैं उनकी परेशानी जानने की इच्छा से उनके पास गई और पूछी, “फाटक बाबू क्या बात है?”

फाटक बाबू ने बताया, “मैं बहुत परेशान हूँ।”

मैंने कहा, “आपकी परेशानी तो आपके चेहरे से ही झलक रही है। पर इसका कारण क्या है?

फाटक बाबू ने कारण बताया। बोले, कल मेरी श्रीमतीजी का जन्मदिन था। भोरे-भोर तैयार हो कर निकलने लगी कहीं जाने के लिए। हमने पूछ ही दिया, “इ सुबह-सुबह कहां जाने के लिए तैयार हो?”

ऊ तो दरबज्जा झट से खोलकर बाहर निकलते हुए बोली, “आके बताऊँगी और हां तुम्हें एक सरप्राईज भी दूंगी।”

एक घंटा बीत गया तो हमारा धुक-चुकी भी बढ़ गया पूरे साढ़े चार घंटा बाद लौटी। त हमरे से रहा नहीं गया। पूछ ही लिए , “कहां गई थी ? एतना देर लग गया?”

वो सूरजमुखी की तरह मुस्कुरात हुए बोली, “ब्यूटी पार्लर!”

हम ऊ को सिर से पैर तक देखे। फिर पूछे, “त क्या सब ब्यूटी पार्लर बन्दे था का?”

बस उनका मुंह सूरजमुखी से ज्वालामुखी हो गया। और हमरे से मुंह फुलाए बैठी है।”

13 टिप्‍पणियां:

  1. फाटक बाबू आज तक समझ नहीं पाए की सच बोलने का नतीजा कितना भयंकर होता है। झूठी तारीफ कर नहीं सकते थे क्या। हाहाहाहाहाहहाहा

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  2. बहुत बढिया
    वैसे क्या वाकई ब्यूटी पार्लर बन्द थे

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  3. हा हा!! पिटे नहीं फाटका बाबू..गनीमत है!

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  4. hahhaha
    1 aurat se panga..ye kya kar dia fatak babu..
    or wo b beauty parlour k nam pe..
    ye to hona hi tha.

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