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रविवार, 27 जून 2010

गरम पानी

हंसी के बारे में …


आज कंपीटिशन काफी बढ गया है। हर क्षेत्र में। हर कोई सफल होने की होड़ में लगा है। इस दौड़ मे वह इतना आगे निकल गया है कि उसे खुलकर हंसने का समय ही नहीं मिलता है। हंसने के लिए क्लब बन रहे हैं। वह इन क्लबों का सदस्य बनता है। इन क्लबों में अच्छी खासी भीड़ जुटने लगी है। लोग अपनी व्यस्त ज़िन्दगी में से समय निकाल कर यहां आते हैं ठहाके लगाने।

यानी ……..

::: पैसे दो और हंसी ख़्ररीदो!!! :::

हास्य फुहार :: गरम पानी


फाटक बाबू एक दिन होटल में खाना खाने गये। बेयरा खदेरन ने उन्हें सूप सर्व किया। उन्हों ने जैसे सूप का प्याला उठाया पीने के लिए तो उन्हें उसमें गिरी मरी मक्खी पर नज़र गई।

बेयरा को संबोधित करते हुए फाटक बाबू बोले, “बेयरा! बेयरा! इस सूप में मरी हुई मक्खी है।”

बेयरा खदेरन ने जवाब दिया, “क्या करूँ सर! ये गर्म पानी इनकी जान ले लेता है।”

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10 टिप्‍पणियां:

  1. बेयरा सही कह रहा था : इतने गर्म सूप में वह कैसे जिन्दा रहता
    मजेदार

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  2. हाँ वर्ना पानी ठण्डा होता तो मक्खी ख़ुशी से स्विमिंग का मज़ा लेती रहती, ये तो गर्मी ने मारा है हम लोगों भी इस मौसम में, और हमारी ही तरह बेचारी मक्खी को भी…

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  3. aapne shi frmaayaa hnsi ke fnsi or fir hnsi he to jivn he isliye aapke faarmule pr chlte rho hnste rho nye andaaz ke liyen bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajsthan mera hindi blog akhtarkhanakela.blogspot.com he

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  4. मक्खी बेचारी क्या जाने गर्म सूप की गर्मी

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