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मंगलवार, 2 नवंबर 2010

बे-ईमान लोग

एक दिन फुलमतिया जी खदेरन को शिकायत के स्वर में बोलीं, “दुनिया में कैसे-कैसे बे-ईमान लोग हो गए है?”

खदेरन को कुछ समझ में नहीं आया। पूछा, “क्यों, क्या हुआ?”

फुलमतिया जी बोलीं, “आज सवेरे दूधवाला मुझे खोटा सिक्का दे गया!”

खदेरन बोला, “अरे! यह तो बहुत बुरा किया उसने। दिखाओ ज़रा!”

फुलमतिया जी बोलीं, “अब वह मेरे पास कहां है! मैंने वह सब्ज़ीवाले को दे दिया!!”

27 टिप्‍पणियां:

  1. फुलमतिया, दूधवाले, और सब्ज़ीवाले वाले में धड़ल्ले से चलने वाला सिक्का खोटा कहाँ रहा. बल्कि यह तो ईमानदारी की हद है.

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  2. खोटा सिक्का लौटकर वापस आता है पर।

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  3. :):) सिक्का तो चलन में है ..फिर खोटा कहाँ

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  4. ये खोटा सिक्का तो धरल्ले से चल रहा है...ऐसा खोटा सिक्का तो मैंने नहीं dekha ...कभी कभी....

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  5. हम सब ईमानदार है जब तक बेईमानी करने का मौका ना मिले

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  6. चलो खोता सिक्का भी चलता है, यह मालूम हो गया. आप को कुछ बेचना हो तो मुझे अवश्य बताएं.

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  7. अपनी लूट की भरपाई दुसरे को लूटकर ...सही है आजकल यही सबसे आसान तरीका है लूटेरों को पकरने फिर उससे उसूलने का झंझट बरा मेहनत का काम है...और इस काम में आपको कानून व्यवस्था भी साथ नहीं देता है ...

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  8. Khote sikke bhi chalte hain bus chalane wala chahiye... bahut sundar prastuti

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  9. दुनिया भी ऎसे ही चल रही है...खोटे सिक्के की माफिक. एक हाथ से दूसरे हाथ....

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  10. बहुत ही सुन्‍दर ....आजकल यही तो हो रहा है ।

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  11. आज से समय में इसे बे-ईमानी नहीं कहते है |

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  12. खोटा सिक्का ही चलता है जी ... यही तो खासियत है हमारे देश की .. इसी बात पर मैंने लिखा है इसबार ..


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    बधाई हो बंधुओं ! बधाई हो ! चलिए खुशियाँ मनाते हैं ! पार्टी करते हैं !

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  13. बहुत सुन्दर रचना है!
    --
    ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  14. .
    .
    .
    हा हा हा हा,

    अब तो जेब टटोलनी होगी, सब्जी जो खरीद कर लौटे हैं अभी-अभी!


    ...

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