एक दिन गार्डेन में बैठा-बैठा खदेरन कुछ याद कर रहा था और मुस्कुरा रहा था। फाटक बाबू ने देखा तो पूछ लिया, “क्या बात है खदेरन? क्या याद आ गया?”
खदेरन बोला, “फाटक बाबू क्या बताएं, शादी के पहले की बात है।
फुलमतिया जी मुझे पसंद आ गईं थीं, तो चले गए उसके घर और फुलमतिया जी के पिता गेंदा सिंह को इंप्रेस करने के चक्कर में उनसे बोलना शुरु कर दिया,
सर जी, मेरे जैसा लड़का आप को चिराग लेकर ढूंढने पर नहीं मिलेगा। न तो मैं शराब पीता हूं, न ही अलब-कल्ब जाता हूं, दफ़्तर से भी सीधा घर आता हूं, आपकी बेटी मेरे साथ बहुत ख़ुश रहेगी।
तो जनते हैं फाटक बाबू फुलमतिया जी के पिता जी ने क्या कहा, उन्होंने कहा, सॉरी खदेरन बाबू, मैं अपनी बेटी की शादी आपसे नहीं कर सकता… अगर आपको दामाद बना लिया तो मेरी बीवी आपका उदाहरण दे-दे कर मेरा जीना मुश्किल कर देगी! हा-हा-हा….
सही है सावधान तो रहना ही पड़ता है
जवाब देंहटाएंपहले सुयोग्य 'दामाद' हो तभी बात बनेगी :))
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंगेंदा सिंह की चिंता जायज़ थी। मज़ेदार।
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
वह भी घर में ही।
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ....
जवाब देंहटाएंहा हा ...फिर दामाद बिगड़ा या ससुर सुधरे ?
जवाब देंहटाएंसही बात है अपने आस पास खुद से ज्यादा अच्छे लोगों को नहीं रखना चाहिए |
जवाब देंहटाएंठीक है....ससुर जी तो दूरदृष्टि वाले निकले :)
जवाब देंहटाएं:-)
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