किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
अध्यापिका ने लेट से पहुंचे भगावन से कहा, “तुम लेट क्यों आए भगावन? स्कूल तो 7 बजे ही शुरू हो जाता है। फिर इतनी देर क्यों की?”
भगावन ने कहा, “मैम! आप मेरी इतनी फिक्र मत किया कीजिए। लोग गलत समझते हैं।”
पगली मैम समझती ही नहीं :))
लोगों का पूर्वाग्रह है ये शायद .. हा हा
shi khaa koi kisi ki kyun fikr kre l;ekin agr hasy fuhaar pr koi nyi baat nhin ati to hme fikr jho jaati he ke agr hm hnse nhin to fir hmari bimaariyon ke ilaaj kaa kya hogaa. akkhtar khan akela kota rajsthan
kuchh to log kahenge
बहुत खूब..:)
क्या कहने !सादर,डोरोथी.
हा हा ...लोंग गलत समझते हैं ..बहुत बढ़िया
हा हा हा ..........मैडम अगर खुबसूरत और जवां हो तो इस तरह के भाव आ ही जाते है!
हा हा हा…………सही तो कहा।
हा हा हा।
मज़ेदार।हा-हा-हा
Ye sahi kaha ...
पगली मैम समझती ही नहीं :))
जवाब देंहटाएंलोगों का पूर्वाग्रह है ये शायद .. हा हा
जवाब देंहटाएंshi khaa koi kisi ki kyun fikr kre l;ekin agr hasy fuhaar pr koi nyi baat nhin ati to hme fikr jho jaati he ke agr hm hnse nhin to fir hmari bimaariyon ke ilaaj kaa kya hogaa. akkhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंkuchh to log kahenge
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..:)
जवाब देंहटाएंक्या कहने !
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
हा हा ...लोंग गलत समझते हैं ..बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..........मैडम अगर खुबसूरत और जवां हो तो इस तरह के भाव आ ही जाते है!
जवाब देंहटाएंहा हा हा…………सही तो कहा।
जवाब देंहटाएंहा हा हा।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार।
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा
Ye sahi kaha ...
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