एक बार फुलमतिया जी और खदेरन एक रेस्तरां में बैठे खाना खा रहे थे।
खाने के बीच में फुलमतिया जी बोलीं, “देखो, उधर कोने वाली कुर्सी पर बैठा आदमी तुम्हें घूर रहा है।’
खदेरन बोला, “तो उसे घूरने दो ना।”
फुलमतिया जी बोलीं, “मैं उसे जानती हूं।”
खदेरन, “अच्छा! कौन है?”
फुलमतिया जी, “कबड़ी है। हमेशा बेकार की चीज़ों मे दिलचस्पी लेता है।”
दोनों घर में झगड़े होंगे.... चालाक फुलमतिया :))
जवाब देंहटाएंवाह, साहसी।
जवाब देंहटाएंकबाड़ी मत कहिए भाभी जी! पुरातत्ववेत्ता कहिए!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा वाह फुलमतिया!
जवाब देंहटाएंvery nice :)
जवाब देंहटाएंफुलमतिया का अंदाजे बयां लाजवाब है ।
जवाब देंहटाएंकुछ कहे बिना सब कह दिया ,
और वो सोचते रहे क्या कह दिया गया ॥
हा हा ...क्या अंदाज़ है ...
जवाब देंहटाएंहा हा हा ………सही तो कह रही है।
जवाब देंहटाएंसही कहा फूलमतिया जी ने |
जवाब देंहटाएंkaha se dhoodh kar lati hai.
जवाब देंहटाएंखदेरन और फ़ुलमतिया---नोक झोंक पढ़ कर मजा आ रहा है।
जवाब देंहटाएंभई वाह!
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह !!
जवाब देंहटाएंसही तो कहा :)
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