अब फाटक बाबू क्यों नहीं परेशान हों खंजन देवी से। ज़रा दोनों की बात-चीत सुनिए….
“डिनर पर बाहर चलें?”
“हां”
“क्या खाओगी?”
“कुछ भी।”
“चाइनीज़?”
“नहीं, मुझे गैस हो जाता है।”
“साउथ इंडियन?”
“क्या फाटक बाबू परसों ही तो खाए थे।”
“तो .. फिर … नॉन भेज?”
“अभी छठ के समय, आप भी न … पर्व त्योहार का भी ख्याल नहीं रखते।”
“तो रोटी-तड़का?”
“वही बोरिंग खाना…।”
“तो फिर तुम्ही बताओ…क्या खाना है?”
“कुछ भी।”
चाट पापड़ी, पानी पूरी :))
जवाब देंहटाएंभूषण जी के विकल्प से सहमत !
जवाब देंहटाएंकुछ नहीं से मतलब यही होता है ...हमारा तो !
कुछ नहीं से मतलब यही होता है ...हमारा तो !
जवाब देंहटाएंहमारे घर में भी कुछ भी ही बनता है, बहुधा।
जवाब देंहटाएंकुछ भी का मतलब यही होता है चाट पकोड़ा समोसे कचोरी पापडी
जवाब देंहटाएंkuchh bhi ka matlab hota hai kaddu..........:P
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं:):) ..वाणी जी कि बात में ज्यादा आनन्द आया ...कुछ भी से मतलब चाट पापडी से होता है .
जवाब देंहटाएंजाने कुछ भी बनना कब सीखूंगी
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंGreat!!!
जवाब देंहटाएंइंग्लिश की क्लास
Chandar Meher
ई फाटको बाबा न कभीकभी बेकूफी कर दएते हैं...देखिये केतनाआराम से भौजी बतिया को गोल घुमाकर फिनू ओही जगहवा पर ले आईं..अरे भाई गोल गोल रोटी का मनवा रहा होगा!!
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