मास्टर जी ने कक्षा में बच्चों से एक वाक्य में खाली स्थानों को भरने के लिए कहा.
वाक्य था, "सौ चूहे खा कर बिल्ली .............. चली.
बटेसर सबसे पहले सबक पूरा करके पहुंचा. "सौ चूहे खा कर बिल्ली टेढ़ी-मेढ़ी चली.
मास्टरजी ने एक जोड़ का झापर जड़ते हुए पूछा, "बेवक़ूफ़.... ! यही है तुम्हारी पढाई. "सौ चूहे खा कर बिल्ली टेढ़ी-मेढ़ी चली....?"
बटेसर को भी गुस्सा आ गया. बोला, "मास्टर जी वो तो मैं ने आपकी इज्जत रख ली. वरना सौ चूहे खाने के बाद बिल्ली चलने के लायक भी रहेगी क्या.... ?"
nice
जवाब देंहटाएंबटेसर ने सदियों से बंद ज्ञान-चक्षु खोल दिए हैं :))
जवाब देंहटाएंबटेसर एक दिन मंत्री बन कर दिखायेगा.
जवाब देंहटाएंवाह !! वाह !!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा.....
हा हा, बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही बात कही.शाबाश बटेसर!.....:))
जवाब देंहटाएंhahahaha..........nice....
जवाब देंहटाएं..........बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसही है ... नहीं रहेगी .... हा हा हा ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब !!
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
बटेसर का जवाब बिल्कुल सही था...10 में 10 देने लायक।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही जवाब ........;बहुत ही सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंहा हा हा....
जवाब देंहटाएंबटेसर को पढने की जरुरत क्या है ...
जवाब देंहटाएंऐसे ही बड़ा होशियार है !
बटेसर जरूर नेहरु खानदान का है ....
जवाब देंहटाएं:-) ha ha ha
जवाब देंहटाएंप्रेमरस.कॉम
जय हो बटेसर की
जवाब देंहटाएंबटेसर तो आइन्स्टीन निकला !!!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा ..बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
जवाब देंहटाएंha ha ha
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