बच्चे जब किसी के सामने जाते हैं तो लोग उनसे कुछ न कुछ पूछते ही रहते हैं।
ऐसा ही भगावन के साथ भी हुआ।
पहली बार जब भगावन को लेकर खदेरन और फुलमतिया जी फाटक बाबू के यहां गए तो फाटक बाबू भगावन को देख कर बड़े खुश हुए और बोले, “अले ले ले … कित्ता प्याला छा बच्चा है!”
फिर खदेरन से पूछे, “अपने बेटे का क्या नाम रखा है?”
खदेरन के बोलने से पहले फुलमतिया जी ने जवाब दिया, “अभी उसका नाम नहीं रखा है, प्यार से उसे भग्गू कहते हैं!”
फाटक बाबू बोले, “बहुत अच्छा है।” फिर भगावन से पूछे, “बेटे आपके पिता जी का क्या नाम है?”
भगावन ने जवाब दिया, “अंकल अभी उनका नाम नहीं रखा है। बस प्यार से पापा-पापा कहता हूं।”
वाह ।
जवाब देंहटाएंहा हा ..बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंमजा अगया जी क्या बात हैं
बहोत सुन्दर हैं
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (29/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
हा हा हा
जवाब देंहटाएं:)
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