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मंगलवार, 17 मई 2011

कोई ऐतराज़

DSCN0466वह शादी पकड़-धकड़ कर कराई गई थी।

पंडित ने भी आनन-फानन में विवाह सम्पन्न कराया। फिर उसने ज़ोर से उद्घोषणा की, “शादी सम्पन्न हुई। किसी को इस शादी से ऐतराज़ तो नहीं है?”

एक मात्र आवाज़ आई, “जी, मुझे है।”

पंडित ने कहा, “तुम चुप रहो जी, तुम तो दूल्हा हो।”

18 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. ha ha ha ha ha ha ha ha..........shaadi mubarak............../////

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  3. घना बढिया काम कर रहे हो, आप तो, ऐसे ही करते रहो, हम फ़ायदा उठा रहे है

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  4. यकीनन शादी के बाद दुल्हे को ही एतराज हो सकता है

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  5. :):) जिसे ऐतराज़ था उसे तो चुप करा दिया ..

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  6. सबको शादी होने के बाद ही ऐतराज होता है होने से पहले क्यों नहीं करते |

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  7. ek mauka to diya jana chahiye tha ! baad mein to vaise bhi zabaan band honi hi thi !

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  8. हा हा हा ..., हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये.

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  9. शादी ताज़ा ताज़ा हुई थी इसीलिए दूल्हे राजा की आवाज़ फूट भी गयी....बाद में तो बोलती बंद ही होनी है!!

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