बेलन महिमा - 2
……………………………………बेलन महिमा - 1 के बाद
पैर पटकते हुए वो तो चली गई।
अधिपति को लगा उनसे कुछ चूक तो हो ही गई।
नाथ की इस नादानी पर
कल न जाने सितम क्या होगा
अब आप समझ ही सकते हैं कि जब रात हो ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा?
खैर इस मधुर- मधुर वार्तालाप के बाद
मन में एक हलचल लिए
अधिप भी सोने चल दिए।
सुबह देर तक सोये रहे।
मृगनयनी द्वारा झकझोड़े जाने पर आँखें खुलीं,
तो देखा उनके हाथ में चाय के प्याले की जगह
दूध का गिलास है।
मालिक ने उत्सुकता से पूछा,
“क्या आज कोई व्रत, पर्व या उपवास है।?”
धर्मपत्नी जी इठलाईं
अपना मधुर तेवर दिखलाईं
बोलीं, - “हाँ, आज नगपंचमी है।”
स्वामी ने सोचा – “दिमाग क्या तेज़ चला रही है
मुझे ही नाग बता रही है।”
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अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइगा
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Maja aa raha apke belan mahima ko padkar.
जवाब देंहटाएंek mahila aur hansee ka patr bhee mahila............:) ............ :) ...........:)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हास्य कविता है .........
जवाब देंहटाएंहा-हाहा-हा-हा-
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की बधाई!
naya andaz aacha laga. ha..ha..ha...
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