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गुरुवार, 24 दिसंबर 2009

बेलन महिमा - 2

बेलन महिमा - 2

……………………………………बेलन महिमा - 1 के बाद

पैर पटकते हुए वो तो चली गई।

अधिपति को लगा उनसे कुछ चूक तो हो ही गई।

नाथ की इस नादानी पर

कल न जाने सितम क्या होगा

अब आप समझ ही सकते हैं कि जब रात हो ऐसी मतवाली

फिर सुबह का आलम क्या होगा?

खैर इस मधुर- मधुर वार्तालाप के बाद

मन में एक हलचल लिए

अधिप भी सोने चल दिए।

सुबह देर तक सोये रहे।

मृगनयनी द्वारा झकझोड़े जाने पर आँखें खुलीं,

तो देखा उनके हाथ में चाय के प्याले की जगह

दूध का गिलास है।

मालिक ने उत्सुकता से पूछा,

क्या आज कोई व्रत, पर्व या उपवास है।?”

धर्मपत्नी जी इठलाईं

अपना मधुर तेवर दिखलाईं

बोलीं, - हाँ, आज नगपंचमी है।

स्वामी ने सोचा दिमाग क्या तेज़ चला रही है

मुझे ही नाग बता रही है।

......अभी..... ज़ारी है ....

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अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइगा

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7 टिप्‍पणियां:

  1. ek mahila aur hansee ka patr bhee mahila............:) ............ :) ...........:)

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