बेलन महिमा -5
…………………………………बेलन महिमा – 4 के बाद
स्वामी की समझ में नहीं आ रहा था
कि क्या लफड़ा है
पूछे – “क्या बात है
क्यों तुम्हारा मूड सुबह-सुबह ही उखड़ा है”
गृहस्वामिनी उन पर चिल्लाईं
चिरपरिचित अपना रौद्र रूप दिखलाईं
बोलीं, “नींद में रात तुम बहुत बड़-बड़ कर रहे थे,
डर रहे थे, -
या कि मुझसे लड़ रहे थे।”
अच्छा तो ये धमाल है
कांत के नींद में आए सपने का कमाल है।
तभी तो सुबह-सुबह उठा ये बवाल है।
ख़सम ने भी गुस्से में कहा,
“बस बहुत सहा
ज़िन्दगी भर क्या यूँ ही सिर धुनता रहूँ
और सपने में भी
तुम्हारी ही सुनता रहूँ”
जगे में तो बोलने का
मुँह खोलने का
अवसर ही कहां मिलता है।
......अभी..... ज़ारी है ....
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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा
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subah kee shuruaat hee mazedar hui ab sara din hee lagata hai aise hee muskate nikal jaega.rhyme ke sath hasy maza aa gaya .
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा वाह बहुत खूब शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंMajedar .. Mujhe tho sari belan mahima aaj hi padne ka mann kar raha hai.Ha ha ha ha ..
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंजय हो बेलन की ........ क्या महिमा है .........
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंbahut khoob !
ye to har ghar kee kahani hai... madam peeti hai subah subah chaay aur sahab bharte paani hai...
जवाब देंहटाएंप्रथम बार आपके ब्लॉग पर आकर बेलन दर्शन किये . मजा आ गया .
जवाब देंहटाएंकिसी ने कहा है-
हर पुरुष की
सफलता में
स्त्री का हाथ
होता है ...
जो नहीं कहा
वो ये कि
उसके हाथ में
बेलन भी होता है !