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शनिवार, 19 दिसंबर 2009

कवि सम्मेलन

कवि सम्मेलन

मैं कोई ऐसी कवयित्री नहीं हूँ जो मंचीय नाटकीयता के साथ काव्य पाठ करे। पर, जब बुला ही लिया जाए तो मैं अवसर को हाथ से जाने भी नहीं देती, कुछ सुनाए बगैर। पिछले साल हुए एक वाकया ध्यान आ रहा है। एक कविगोष्ठी का आयोजन किया गया था। मैं भी पहुंची थी, सुनने।

कुछ लोगों के भ्रामक प्रचार के कारण मुझे भी श्रेष्ठ कवियों की श्रेणी में डाल दिया गया और वहां के संचालक ने मुझे भी सस्वर कविता पाठ का अमंत्रण कर डाला। मैंने कविता सुनाना शुरु किया।

कुछ क्षणोंपरांत एक सज्जन बोल पड़े मुझे आपकी कविता सुनकर बेहद आश्‍चर्य हो रहा है।

ख़ुशी से मैं तपाक से बोल पड़ी, शायद इस बात पर कि मैं इन्हें लिखती कैसे हूँ?

सज्जन बोले, जी नहीं। बल्कि इस बात पर कि आप आख़िर इन्हें लिखती क्यों हैं?

मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए कहा इसका जवाब आपको मेरी कविता में मिल जाएगा।

फिर मैंने हास्य रस की और फिर वीर रस की एक-एक कविता सुनाई। फिर क्या था देखते ही देखते काफी शोरगुल हुआ। काफी चिल्लाहट हुई। मैं ख़ुशी से बोल पड़ी, मुझे ऐसा लग रहा है कि इस नगर के श्रोता बहुत अच्छे हैं। हर प्रकार की कविता को पचाने की क्षमता रखते हैं

एक श्रोता चिल्लाते हुए बोल पड़ा, हम कविता तो कविता, कवियों को भी पचाने की क्षमता रखते हैं। ज़रा आप मंच पर से नीचे उतरकर तो आइए

पर कवि को माइक मिल जाए तो जब तक उसका अपना दिल नहीं भरता छोड़ता नहीं। मैंने भी ठान ली थी, जितने भी पुरजे साथ में हैं जब तक पूरा नहीं सुना दूंगी माइक नहीं छोड़ूँगी। मैंने माइक नहीं छोड़ी।

तीसरी रचना जो श्रृंगार रस की थी सुनाना शुरु कर दिया। झूम-झूम कर। आपनी आंखे बंद कर। पूरी तन्मयता के साथ। शोर और चिल्लाहट और भी बढ़ गई। आंखें खोलकर देखती हूँ तो पाती हूँ कि एक बड़ी-बड़ी मूंछों वाला, हट्टा कट्टा, पहलवान टाइप सज्जन लट्ठ लिए मंच के सामने टहल रहा था।

अब मैं डर कर भागने लगी तो वह बोला, ना-ना, तू मत जा। तू तो लगी ही रह। तू तो हमारा मेहमान है। बाहर से आयी है। तू तो सुनाए जा। मैं तो उसे ढ़ूँढ़ रहा हूँ जिसने तुझे माइक पर बुलाया था। पता नहीं तुझे बुला कर कहां भाग गया है ?

अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइएगा।



17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब.. हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-.....

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  2. ha...ha,..ha...
    ho...ho...ho...ho
    hi...hi..hi..hi

    aap manch par kavitaayen padhna
    band na kariyega

    ha...ha..ha
    maja aa gaya padhkar bahut khoob

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति--मजा आ गया पढ़ कर।
    पूनम

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  4. हा हा हा हा हा हा हा हा
    आप जमे रहिये
    पाठ करते रहिये

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।

    pls visit...
    http://dweepanter.blogspot.com

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  6. पसंद आया ठहाका भी लगाया
    हा हा ही ही लिख देने से कैसे समझा जाएगा कि मैंने ठहाका लगाया या यूँ ही लिख दिया
    आपके हसाने का प्रयास सार्थक है.

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  7. हा हा हा हा हा हा हा हा
    आप जमे रहिये
    पाठ करते रहिये

    जवाब देंहटाएं
  8. Haaaaaaaaaaaaaaaaaa...are bapre..such men madam sabse maja aapki kavisammelan padkar aaya... ..aapke blog ko FOLLOW KARNE KA OPTION NAHI DIKHA RAHA HAI..Pls help me..!

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