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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

आज सिर्फ़ एक चित्र…

आज सिर्फ़ एक चित्र…


ये ई-मेल से प्राप्त हुआ। सोचा आपसे शेयर कर लूं।


बताइए इस चित्र का शीर्षक क्या हो? …. शीर्षक ऐसा हो जिससे हास्य का सृजन हो…

हे भगवान!
एक शीर्षक तो मैं ही दे रही हूं …

हे भगवान! छी…!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।

    हिन्दी का विस्तार-मशीनी अनुवाद प्रक्रिया, राजभाषा हिन्दी पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें

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  2. आपका शीर्षक ही बेहतर है............हीही

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  3. संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
    अनुलोम विलोम प्राणायाम किया क्या ?

    मेरा भी .ही माना जाये।

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